पश्चिम बंगाल: मतदाता सूची गड़बड़ी मामले में ममता सरकार ने चार अफसरों को किया निलंबित, एफआईआर से अब भी परहेज
पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार ने आखिरकार भारत निर्वाचन आयोग के निर्देशों पर आंशिक अमल करते हुए मोयना और बरुईपुर पूर्व विधानसभा क्षेत्रों में मतदाता सूची में गड़बड़ी के आरोपों के चलते चार अधिकारियों को निलंबित कर दिया है। इनमें दो निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी (ERO) और दो सहायक निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी (AERO) शामिल हैं।
हालांकि, आयोग द्वारा दिए गए एक अहम निर्देश—सभी आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने—का पालन अब तक नहीं हुआ है। चुनाव आयोग ने 21 अगस्त तक अपने निर्देशों का पूर्ण पालन सुनिश्चित करने को कहा था, लेकिन राज्य सरकार ने अभी केवल अनुशासनात्मक कार्रवाई तक ही कदम बढ़ाया है।
मुख्य सचिव ने दी चुनाव आयोग को जानकारी
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राज्य के मुख्य सचिव मनोज पंत ने ईमेल के माध्यम से चुनाव आयोग को इस कार्रवाई की जानकारी दी है। चारों निलंबित अधिकारी सरकारी सेवा के अधीन हैं, जिनमें दो पश्चिम बंगाल सिविल सेवा (WBCS) के अधिकारी हैं। राज्य सरकार, इन अधिकारियों के खिलाफ विभागीय जांच शुरू करने पर भी विचार कर रही है।
डाटा एंट्री ऑपरेटर की सेवाएं समाप्त
मतदाता सूची में छेड़छाड़ के एक अन्य आरोपी, कॉन्ट्रैक्ट डाटा एंट्री ऑपरेटर सुरजीत हलदर को सेवा से हटा दिया गया है। चुनाव आयोग की सख्ती के बाद यह अनुशासनात्मक कदम उठाया गया।
किन अधिकारियों पर लगे हैं आरोप?
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बरुईपुर पूर्व के निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी देबोत्तम दत्ता चौधरी
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सहायक निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी तथागत मंडल
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मोयना के निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी बिप्लब सरकार
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सहायक निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी सुदीप्त दास
इन सभी पर मतदाता सूची में हेरफेर और गड़बड़ी के गंभीर आरोप हैं।
चुनाव आयोग के साथ टकराव में थी राज्य सरकार
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पहले चुनाव आयोग के निर्देशों की आलोचना की थी और आयोग पर ‘भाजपा के इशारे पर काम करने’ का आरोप लगाया था। उन्होंने यह भी कहा था कि उनकी सरकार अपने अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करेगी।
हालांकि, चुनाव आयोग के कड़े रुख और मुख्य सचिव द्वारा आयोग की पूर्ण पीठ से मुलाकात के बाद राज्य सरकार को कार्रवाई करनी पड़ी। फिर भी, एफआईआर न होने की स्थिति में आयोग और सरकार के बीच तनाव बने रहने की आशंका है।