जयपुर/डूंगरपुर/करौली। राजस्थान में पंचायत उपचुनावों को लेकर गुरुवार को करौली, जयपुर ग्रामीण और डूंगरपुर जिलों में मतदान हुआ। तेज बारिश, तकनीकी खराबी और आचार संहिता उल्लंघन के बीच चुनावी माहौल खासा गर्म रहा।
राज्य के विभिन्न जिलों में पंचायत समिति और जिला परिषद की खाली सीटों को भरने के लिए यह उपचुनाव आयोजित किया गया। सुबह 7 बजे शुरू हुए मतदान में मतदाता उत्साह के साथ पहुंचे, हालांकि मौसम और व्यवस्थागत कमियों ने कई जगहों पर अड़चनें डालीं।
डूंगरपुर: EVM में खराबी और बारिश बनी चुनौती
डूंगरपुर जिले में जिला परिषद वार्ड 9 और सीमलवाड़ा पंचायत समिति वार्ड 16 में मतदान हुआ। यहां लगातार बारिश के चलते वोटिंग सेंटरों पर मतदाताओं की उपस्थिति कम रही।
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वहीं बूथ नंबर 109 पर EVM में तकनीकी खराबी के कारण करीब 40 मिनट तक मतदान पूरी तरह ठप रहा। अधिकारियों ने मशीन को ठीक कर मतदान फिर से शुरू करवाया।
इस बार भारत आदिवासी पार्टी (BAP) की उपस्थिति ने मुकाबले को और दिलचस्प बना दिया है, जिससे भाजपा और कांग्रेस दोनों को चुनौती का सामना करना पड़ रहा है।
जयपुर ग्रामीण: खुलेआम आचार संहिता का उल्लंघन
जयपुर ग्रामीण के जमवारामगढ़ उपखंड स्थित बोबाड़ी गांव में वार्ड 27 के लिए मतदान हुआ। यहां 5,000 से अधिक मतदाता वोट डालने पहुंचे।
हालांकि, चुनाव आचार संहिता का गंभीर उल्लंघन सामने आया। मतदान केंद्र से महज 10 मीटर की दूरी पर प्रत्याशियों के बैनर और पोस्टर लगे मिले, जबकि नियमों के अनुसार 200 मीटर की परिधि में प्रचार सामग्री पूरी तरह प्रतिबंधित है।
स्थानीय लोगों ने इस पर आपत्ति जताई, लेकिन प्रशासन की ओर से अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है, जिससे निष्पक्षता पर सवाल उठे हैं।
करौली: शांतिपूर्ण मतदान, लेकिन मुकाबला कड़ा
करौली जिले में मंडरायल और मासलपुर पंचायत समितियों के वार्डों में मतदान शांतिपूर्वक संपन्न हुआ।
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मंडरायल वार्ड 6 में भाजपा की वीरवती और निर्दलीय भूरो जाटव के बीच सीधा मुकाबला रहा।
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मासलपुर वार्ड 2 में भाजपा, कांग्रेस और निर्दलीय के बीच त्रिकोणीय संघर्ष देखने को मिला।
कुल 8,362 मतदाताओं में शुरुआती कुछ घंटों में मतदान की गति धीमी रही, लेकिन दोपहर बाद भीड़ बढ़ी। जिला प्रशासन और पुलिस ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए और वरिष्ठ अधिकारी लगातार निगरानी में लगे रहे।
निष्कर्ष:
राजस्थान के पंचायत उपचुनावों ने एक बार फिर दिखाया कि ग्रामीण राजनीतिक क्षेत्र में लोकतंत्र की भागीदारी मजबूत है, लेकिन प्रशासनिक सतर्कता और तकनीकी तैयारी में सुधार की जरूरत बनी हुई है।
जहां एक ओर मतदाता भारी बारिश और असुविधाओं के बावजूद अपने मताधिकार का प्रयोग करने पहुंचे, वहीं दूसरी ओर आचार संहिता के उल्लंघन और तकनीकी दिक्कतें चुनावी पारदर्शिता पर सवाल खड़े करती हैं।