रामदेवरा मेला: आस्था की राह में कठिनाइयां भी नाकाम, 25 अगस्त से होगा विधिवत शुभारंभ, अब तक 22 लाख कर चुके दर्शन
राजस्थान के जैसलमेर ज़िले के रामदेवरा कस्बे में हर साल लगने वाला बाबा रामदेव का मेला इस बार भी श्रद्धालुओं की भारी भीड़ के साथ जारी है। बाबा रामदेव की समाधि के दर्शन के लिए देश के कोने-कोने से श्रद्धालु पहुंच रहे हैं, और भीषण गर्मी व लंबी दूरी की चुनौतियों के बावजूद आस्था का जुनून कम नहीं हुआ।
मेला कब से कब तक चलेगा?
बाबा रामदेव मेले का विधिवत शुभारंभ 25 अगस्त 2025 को भादवा सुदी द्वितीया के दिन ध्वजारोहण के साथ होगा। यह मेला पूर्णिमा, यानी 7 सितंबर 2025 तक चलेगा। हालांकि, मेला औपचारिक रूप से शुरू होने से पहले ही भीड़ उमड़ना शुरू हो गई है।
बीते 11 दिनों में रोजाना औसतन दो लाख श्रद्धालु समाधि दर्शन कर चुके हैं। अब तक करीब 20 से 22 लाख लोग रामदेवरा पहुंच चुके हैं।
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आस्था की अनोखी झलकियां
कपड़े के घोड़े की परंपरा
श्रद्धालु बाबा रामदेव के प्रिय घोड़े की स्मृति में कंधे पर कपड़े का घोड़ा लेकर यात्रा करते हैं। यह परंपरा भक्तों की भक्ति और समर्पण को दर्शाती है।
विविध प्रकार की यात्राएं
रामदेवरा में आने वाले श्रद्धालु अलग-अलग तरीके अपनाते हैं:
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पदयात्रा: कई श्रद्धालु 200 से 2000 किलोमीटर तक की यात्रा पैदल तय करते हैं।
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दंडवत यात्रा: कुछ भक्त घुटनों के बल या पूरी तरह लेटकर दंडवत प्रणाम करते हुए यात्रा पूरी करते हैं।
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इन यात्राओं में श्रद्धालु एक ही मंत्र दोहराते हैं—“समाधि दर्शन कब होगा”।
सेवा और सुविधाएं
राह में सेवा केंद्र
श्रद्धालुओं की सेवा के लिए जोधपुर से रामदेवरा के बीच 200 किमी तक सैकड़ों सेवा केंद्र लगाए गए हैं।
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चाय, नाश्ता, भोजन
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पानी और प्राथमिक उपचार
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भामाशाहों और सामाजिक संगठनों का भरपूर योगदान
जयपुर से पैदल यात्रा कर रहे रामचंद्र बताते हैं कि 15 दिन की यात्रा में कहीं कोई कठिनाई नहीं आई। वहीं, समाजसेवी राजकुमार ने बताया कि दंडवत या घुटनों के बल चलने वाले श्रद्धालुओं की आस्था देख भावुक होना स्वाभाविक है।
फैक्ट फाइल:
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10 से 15 लाख श्रद्धालु पैदल यात्रा करते हैं।
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यात्रा की दूरी 200 से 2,000 किमी तक होती है।
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अब तक 20 से 22 लाख श्रद्धालु समाधि के दर्शन कर चुके हैं।
निष्कर्ष
रामदेवरा मेला केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि श्रद्धा, समर्पण और सेवा का जीवंत उदाहरण बन चुका है। लाखों श्रद्धालु शारीरिक कष्टों को भुलाकर बाबा रामदेव की समाधि के दर्शन के लिए बढ़ते कदम यह सिद्ध करते हैं कि सच्ची आस्था किसी सीमा में नहीं बंधती।