जयपुर। राजस्थान में डॉक्टरों की संख्या बढ़ाने के प्रयास तेज हो रहे हैं। अगले दस वर्षों में राज्य से करीब 56,000 नए डॉक्टर तैयार होंगे। लेकिन सवाल यह है कि क्या सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी को पूरा करने के लिए भर्ती प्रक्रिया भी उतनी ही तेज होगी?
बीते दशक में 15 हजार नए डॉक्टर
राज्य में बीते दस वर्षों में सरकारी और निजी मेडिकल कॉलेजों से लगभग 15,000 नए डॉक्टर पासआउट हुए हैं। वर्तमान में राजस्थान में 42 मेडिकल कॉलेज संचालित हैं, जिनमें 30 सरकारी और 12 निजी संस्थान शामिल हैं। यहां कुल 5,668 एमबीबीएस सीटें हैं, जिनमें से 3,618 सरकारी और 2,050 निजी सीटें हैं। केवल 2022 से 2025 के बीच 1,231 सीटें बढ़ी हैं, जिनमें से 841 सरकारी कॉलेजों में जोड़ी गईं।
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भर्ती की रफ्तार धीमी
कैग रिपोर्ट 2025 के अनुसार, वर्ष 2016-17 से अब तक आठ वर्षों में केवल 10,000 डॉक्टरों की भर्ती हुई। वहीं, इसी अवधि में एमबीबीएस पासआउट की संख्या 15,000 से अधिक रही। यानी, हर साल सैकड़ों नए डॉक्टर तैयार हो रहे हैं, लेकिन सरकारी अस्पतालों में पदों पर उनकी नियुक्ति उतनी तेजी से नहीं हो रही।
विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी
विशेषज्ञ चिकित्सकों की स्थिति भी चिंताजनक है। पीजी सीटों में वृद्धि जरूर हुई है, लेकिन उनकी नियुक्ति ज्यादातर मेडिकल कॉलेज स्तर तक सीमित है। ग्रामीण और जनजातीय क्षेत्रों के अस्पताल आज भी विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी से जूझ रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि अब केवल स्वीकृत पदों की बजाय अस्पतालों की वास्तविक जरूरत के आधार पर पद सृजित किए जाने चाहिए।
संस्थानों में बड़ी कमी
सीएजी और एचडीआई रिपोर्ट के अनुसार, प्राथमिक और माध्यमिक स्तर के स्वास्थ्य संस्थानों में डॉक्टरों की कमी 35.51% और विशेषज्ञों की कमी 38.55% दर्ज की गई है। तृतीयक संस्थानों में भी 21.45% डॉक्टर और 24.89% विशेषज्ञों के पद खाली हैं।
निष्कर्ष
राजस्थान में डॉक्टर बनने की रफ्तार तेज हो रही है, लेकिन सरकारी भर्ती की धीमी प्रक्रिया के चलते अस्पतालों में मरीजों को राहत नहीं मिल पा रही। सवाल यह है कि जब अगले दशक में 56,000 नए डॉक्टर तैयार होंगे, तो क्या राज्य सरकार भर्ती की गति बढ़ाकर अस्पतालों में चिकित्सक उपलब्ध करा पाएगी?