बच्चों की शिक्षा के लिए पुश्तैनी घर दे दिया, खुद टापरी में रहने लगे मोर सिंह
राजस्थान के झालावाड़ जिले के पिपलोदी गांव में रहने वाले आदिवासी भील समुदाय के मोर सिंह ने शिक्षा के प्रति एक असाधारण समर्पण का परिचय दिया है। स्वयं निरक्षर होने के बावजूद, उन्होंने यह तय किया कि उनके गांव के बच्चों को शिक्षा से वंचित नहीं रहने दिया जाएगा। इसी सोच के साथ उन्होंने अपना पक्का पुश्तैनी मकान गांव में अस्थायी स्कूल संचालन के लिए शिक्षा विभाग को नि:शुल्क सौंप दिया है।
पृष्ठभूमि: स्कूल हादसे के बाद उठा यह कदम
25 जुलाई को पिपलोदी गांव के सरकारी स्कूल की छत गिरने की एक दुखद घटना सामने आई थी। इस हादसे के बाद स्कूल भवन असुरक्षित घोषित कर दिया गया और बच्चों की पढ़ाई रुकने का खतरा खड़ा हो गया। ऐसे समय में जब गांव में अस्थायी स्कूल भवन की तलाश की जा रही थी, मोर सिंह ने आगे आकर दो कमरों और एक बरामदे वाले अपने पक्के मकान को स्कूल के लिए देने की पेशकश की।
परिजनों ने जताया विरोध, लेकिन मोर सिंह अडिग रहे
शुरुआत में उनके परिवार के सदस्य इस फैसले से सहमत नहीं थे, लेकिन मोर सिंह की दृढ़ इच्छाशक्ति के आगे उन्होंने भी समर्थन कर दिया। इसके बाद मोर सिंह ने खेत के पास लकड़ी और तिरपाल से एक टापरी तैयार की, जिसमें अब वे अपने आठ परिजनों के साथ रह रहे हैं। इस अस्थायी आश्रय को बनाने में केवल तीन सौ रुपये खर्च हुए।
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कोई किराया नहीं, जब तक नया स्कूल न बने तब तक मकान स्कूल ही रहेगा
मोर सिंह का कहना है, “मैं खुद पढ़ा-लिखा नहीं हूं, लेकिन चाहता हूं कि गांव के बच्चे मेरी तरह अशिक्षित न रहें। जब तक नया स्कूल भवन तैयार नहीं हो जाता, तब तक मेरे मकान में पढ़ाई चलती रहे — चाहे एक साल लगे या दो साल।” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उन्हें इसके बदले कोई किराया नहीं चाहिए।
गुजारा दो बीघा जमीन और कुछ बकरियों से
मोर सिंह का जीवन बेहद साधारण है। उनके पास दो बीघा खेती की जमीन और कुछ बकरियां हैं। उनकी दो बेटियां हैं, जो पास के गांव के स्कूल में 12वीं और 9वीं कक्षा में पढ़ रही हैं।
हादसे के दृश्य अब भी आँखों में ताज़ा
पिपलोदी स्कूल हादसे का मंजर मोर सिंह आज भी नहीं भूल पाए हैं। उन्होंने कहा कि हादसे के बाद जब बच्चे सहमे हुए थे, तो उन्होंने उसी क्षण तय कर लिया कि किसी भी कीमत पर बच्चों की पढ़ाई नहीं रुकने देंगे।
सम्मानित किया जाएगा स्वतंत्रता दिवस समारोह में
उनके इस निस्वार्थ और प्रेरणादायक योगदान के लिए मोर सिंह को 15 अगस्त को झालावाड़ जिले के स्वतंत्रता दिवस मुख्य समारोह में जिला प्रशासन द्वारा सम्मानित किया जाएगा।
निष्कर्ष
मोर सिंह का यह कदम न केवल शिक्षा के प्रति उनके समर्पण को दर्शाता है, बल्कि यह समाज को यह संदेश भी देता है कि बड़े बदलाव के लिए बड़ा साधन नहीं, बल्कि बड़ी सोच की जरूरत होती है। उनका त्याग आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बनकर रहेगा।