बीकानेर: पीबीएम अस्पताल में ‘बधाई’ के नाम पर वसूली, नवजात को गोद में लेने की कीमत ₹1100
बीकानेर के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल पीबीएम की जनाना विंग से एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जहां एक नर्स पर नवजात को परिजनों को सौंपने से पहले ₹1100 की मांग करने का आरोप लगा है। इस घटना ने अस्पताल प्रबंधन की कार्यप्रणाली और स्वास्थ्य सेवाओं की संवेदनशीलता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
नवजात को देखने के लिए मांगी गई “बधाई”
इंद्रा कॉलोनी निवासी एंबुलेंस चालक जयप्रकाश टाक की पत्नी जयश्री ने रविवार शाम को बेटी को जन्म दिया। परिजनों की खुशी उस समय धूमिल हो गई जब लेबर रूम से बाहर आई एक नर्स ने जयप्रकाश की मां से नवजात को दिखाने और सौंपने से पहले ₹1100 की मांग कर डाली।
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परिजनों ने बताया कि सास ने ₹500 देने की कोशिश की, लेकिन नर्स ने स्पष्ट कहा कि पूरा ₹1100 लाओ, तभी बच्चा मिलेगा। करीब आधे घंटे तक परिजन परेशान होते रहे। इस दौरान जयश्री अपनी नवजात बेटी का चेहरा तक नहीं देख सकीं।
जयप्रकाश ने बताया कि वह दवाइयां लेने गया हुआ था, जबकि पीछे से नर्स ने उसके भाई से भी सफाईकर्मी के नाम पर अलग से पैसे मांगे। जब और पैसे देने से इनकार किया गया तो नर्स का रवैया और सख्त हो गया। अंततः ₹1000 देकर ही परिजनों को नवजात को गोद में लेने की अनुमति मिली।
ऑडियो क्लिप से सामने आया सच
इस घटना से जुड़ा एक ऑडियो भी सामने आया है जिसमें नर्स द्वारा पैसे मांगने की बात स्पष्ट रूप से सुनी जा सकती है। शिकायत के बाद पीबीएम अस्पताल के अधीक्षक और मैटर्न ऑफिस ने मामले की गंभीरता को देखते हुए नर्स शिखा को लेबर रूम से हटाने का आदेश दिया।
पहले भी आ चुकी हैं शिकायतें
अस्पताल सूत्रों के अनुसार पहले केवल संविदा पर कार्यरत सफाईकर्मी महिलाएं पारंपरिक रूप से 50-100 रुपए “बधाई” के रूप में मांगती थीं, जिसे परिजन भी रिवाज समझकर दे देते थे। लेकिन अब जब नर्सिंग स्टाफ भी खुले तौर पर रकम मांगने लगा है, तो यह अस्पताल प्रशासन के लिए एक नया और गंभीर संकट बन गया है।
यह पहली शिकायत नहीं है। पूर्व में भी इसी तरह के मामलों में दो अन्य नर्सों को हटा दिया गया था। अस्पताल की छवि पर इस तरह की घटनाओं का गंभीर असर पड़ रहा है।
प्रशासन के सामने अब बड़ी चुनौती
अब सवाल यह है कि क्या अस्पताल प्रशासन इस बधाई के नाम पर चल रही अवैध वसूली पर स्थायी रूप से रोक लगाने में सफल होगा, या यह चलन आगे भी यूं ही जारी रहेगा। मरीजों और उनके परिजनों को शोषण से बचाने के लिए सख्त और पारदर्शी व्यवस्था लागू करना प्रशासन की प्राथमिकता होनी चाहिए।