फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र से सरकारी नौकरी, 24 कर्मचारी जांच में फंसे
राजस्थान में फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र लगाकर सरकारी नौकरियां पाने वाले 24 सरकारी कर्मचारियों का भंडाफोड़ हुआ है। स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (एसओजी) की जांच में इन सभी को दिव्यांग श्रेणी के लिए अयोग्य पाया गया है। इनमें शिक्षक, स्टेनोग्राफर, विकास अधिकारी और कनिष्ठ सहायक जैसे पदों पर कार्यरत कर्मचारी शामिल हैं।
एसओजी के एसपी ज्ञानचंद यादव ने बताया कि कई स्रोतों से ऐसी जानकारी मिल रही थी कि कुछ लोगों ने नकली दिव्यांग प्रमाण पत्रों के सहारे सरकारी सेवाओं में नियुक्ति प्राप्त की है। इस पर एसओजी ने एएसपी भवानी शंकर मीणा के नेतृत्व में एक विशेष टीम गठित की और एसएमएस मेडिकल कॉलेज के विशेषज्ञ डॉक्टरों की मदद से इन कर्मचारियों का पुनः मेडिकल परीक्षण कराया।
जांच में हुआ बड़ा खुलासा
एसएमएस मेडिकल कॉलेज के मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट में सामने आया कि जिन 29 कर्मचारियों को दिव्यांग श्रेणी में नियुक्ति मिली थी, उनमें से केवल 5 ही इस श्रेणी के योग्य पाए गए। शेष 24 कर्मचारी दिव्यांगता की निर्धारित शर्तों पर खरे नहीं उतरे।
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13 में से सभी 13 श्रवण बाधित कर्मचारी अयोग्य पाए गए
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8 दृष्टिबाधित में से 6 अयोग्य घोषित हुए
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8 अन्य प्रकार की दिव्यांगता वाले कर्मचारियों में से 5 अयोग्य पाए गए
अयोग्य घोषित किए गए कर्मचारियों की सूची:
इनमें महेन्द्र पाल सिंह (राजसमंद), सवाई सिंह गुर्जर (करौली), हंटु गुर्जर (जयपुर), मनीष कुमार कटारा और भानुप्रताप कटारा (भरतपुर), कविता यादव, केशव यादव (जयपुर), बिकेश कुमार (भरतपुर), नफीस (कामां), रणजीत सिंह और कलुआ राम सिंह (बयाना), पवन कुमार सिंह (सिरोही), विनोद कंवर शेखावत और प्रशांत सिंह (सिरोही), दिनेश कुमार बिश्नोई (बाड़मेर), लोकेश (भरतपुर), संजय (बीकानेर), दीपू और किशोर सिंह (डीडवाना-कुचामन), गेपु राम (पाली), छिन्दपाल सिंह (गंगानगर), आसी कुमारी (बाड़मेर), डॉ शंकर लाल मीणा (बूंदी) और जगदीश चौधरी (अजमेर) शामिल हैं।
अब आगे क्या?
एसओजी ने इस मामले में कानूनी कार्रवाई की तैयारी शुरू कर दी है। फर्जी दस्तावेजों के आधार पर सरकारी नौकरी हासिल करने वाले इन कर्मचारियों पर जल्द ही धोखाधड़ी और फर्जीवाड़े की धाराओं में मुकदमा दर्ज किया जा सकता है। अधिकारियों का कहना है कि यह कार्रवाई अन्य विभागों में भी की जाएगी ताकि ऐसी नियुक्तियों पर रोक लगाई जा सके।