


भारतीय सेना पर की गई कथित टिप्पणी को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी को सख्त लहजे में फटकार लगाई है। मामला दिसंबर 2022 का है, जब भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल गांधी ने गलवान घाटी में भारत-चीन सैनिकों की झड़प का जिक्र करते हुए कहा था कि “चीनी सैनिकों ने भारतीय सैनिकों की पिटाई की।”
इस बयान पर सीमा सड़क संगठन (BRO) के पूर्व निदेशक उदय शंकर श्रीवास्तव ने लखनऊ की एक अदालत में मानहानि का केस दर्ज कराया था, जिसमें उन्होंने कहा कि इस तरह की टिप्पणियां भारतीय सेना का मनोबल गिरा सकती हैं और राष्ट्रीय सुरक्षा पर सवाल खड़े कर सकती हैं।
सुप्रीम कोर्ट की तीखी टिप्पणी:
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी से पूछा:
“आपको कैसे पता कि चीन ने 2000 वर्ग किलोमीटर जमीन पर कब्जा कर लिया? क्या आप खुद वहां मौजूद थे? क्या आपके पास कोई प्रमाण है?”
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इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि:
“अगर आप सच्चे भारतीय हैं तो इस तरह की बातें नहीं कहेंगे।”
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि इस तरह के बयान सोशल मीडिया या सार्वजनिक रैलियों में न देकर संसद के भीतर कहे जाने चाहिए, जहां इनका वैधानिक रूप से परीक्षण हो सके।
पृष्ठभूमि क्या है?
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9 दिसंबर 2022 को अरुणाचल प्रदेश में भारत और चीन के सैनिकों के बीच झड़प हुई थी।
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16 दिसंबर 2022 को राजस्थान में भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल गांधी ने बयान दिया कि “चीन ने जमीन कब्जा ली और भारतीय सैनिकों की पिटाई की।”
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इस बयान के खिलाफ लखनऊ में मानहानि का मुकदमा दर्ज हुआ।
कोर्ट की कार्रवाई और स्थिति:
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सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल राहुल गांधी के खिलाफ लखनऊ की अदालत द्वारा जारी समन पर रोक लगा दी है।
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उत्तर प्रदेश सरकार और शिकायतकर्ता को नोटिस जारी कर तीन हफ्तों में जवाब मांगा गया है।
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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मई 2025 में राहुल गांधी की समन रद्द करने की याचिका खारिज कर दी थी।
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15 जुलाई 2025 को, राहुल गांधी ने लखनऊ की एमपी/एमएलए कोर्ट में आत्मसमर्पण किया और उन्हें 20-20 हजार रुपये के बांड पर जमानत मिली।
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इससे पहले वह पांच बार समन के बावजूद अदालत में पेश नहीं हुए थे।
निष्कर्ष:
सुप्रीम कोर्ट का रुख स्पष्ट है कि राष्ट्रीय सुरक्षा और सेना से जुड़े मामलों में जिम्मेदाराना व्यवहार और प्रमाणिकता आवश्यक है। इस मामले की अगली सुनवाई तीन हफ्तों में होनी है, जिसके बाद आगे की कानूनी कार्रवाई तय होगी।