


निसार सैटेलाइट: कैसे देगा प्राकृतिक आपदाओं से पहले अलर्ट?
इसरो और नासा ने मिलकर ‘निसार’ (NASA-ISRO Synthetic Aperture Radar) नामक एक उन्नत अर्थ ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट विकसित किया है, जो अब तक का सबसे आधुनिक और सटीक आपदा पूर्व चेतावनी तंत्र माना जा रहा है। इसकी लॉन्चिंग श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से बुधवार शाम 5:40 बजे की गई।
क्या है ‘निसार’?
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वज़न: 2,392 किलोग्राम
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लंबाई: 51.7 मीटर
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लॉन्च यान: GSLV-F16
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कक्षा: सूर्य-समकालिक कक्षा (Sun-synchronous orbit)
यह मिशन करीब 1.5 अरब डॉलर (लगभग 12,500 करोड़ रुपये) की लागत से तैयार किया गया है, और इसका उद्देश्य पूरे पृथ्वी पर नजर रखना है—not सिर्फ भारत पर।
निसार को क्यों कहा जा रहा है ‘जासूस’?
निसार को इस रूप में डिजाइन किया गया है कि यह धरती की सतह पर होने वाले सामान्य से लेकर अत्यधिक जटिल परिवर्तन को भी रिकॉर्ड कर सकता है। इसमें दो रडार सिस्टम हैं:
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L-बैंड रडार: जिसे नासा के जेट प्रोपल्शन लैब (JPL) ने बनाया है
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S-बैंड रडार: जिसे इसरो के अहमदाबाद स्थित स्पेस एप्लिकेशन सेंटर ने विकसित किया है
यह दुनिया का पहला सैटेलाइट है जो दोनों बैंड फ्रीक्वेंसी पर एक साथ काम करता है, जिससे यह अत्यधिक संवेदनशील और सटीक डेटा भेज सकता है।
किन घटनाओं पर नज़र रखेगा?
निसार विशेष रूप से इन प्राकृतिक घटनाओं की निगरानी करेगा:
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भूकंप और टेक्टोनिक प्लेट्स की हरकतें
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भूस्खलन और पर्वतीय ढलानों की स्थिरता
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बर्फ की चादरों और ग्लेशियर्स का आकार और गति
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जंगल की आग और वनस्पति में बदलाव
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चक्रवात, बिजली गिरना और अत्यधिक वर्षा
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समुद्र के जलस्तर में बदलाव और तटीय क्षरण
निसार कैसे करेगा अलर्ट जारी?
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यह हर 12 दिन पर पृथ्वी के एक ही स्थान से डेटा इकट्ठा करेगा
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इसका सुपर-वाइड स्वीपSAR स्कैनर 242 किलोमीटर चौड़ा इलाका कवर करेगा
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इससे वैज्ञानिक जलवायु परिवर्तन, पर्यावरणीय खतरों और आपदा प्रबंधन की योजना पहले से बना पाएंगे
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यह ग्लोबल मॉनिटरिंग टूल के रूप में काम करेगा, जिससे केवल भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया को फायदा होगा
किन क्षेत्रों को मिलेगा सबसे अधिक लाभ?
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हिमालय और अंटार्कटिका जैसे संवेदनशील इलाके
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समुद्री तट, जहाँ सुनामी और चक्रवात का खतरा अधिक होता है
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घने वन और पर्वतीय क्षेत्र, जहाँ भूस्खलन और आग लगने की घटनाएं होती हैं
क्यों है यह सैटेलाइट गेम-चेंजर?
अब तक इसरो के ‘रिसोर्ससैट’ या ‘रीसैट’ जैसे मिशन भारत केंद्रित रहे हैं। निसार का दायरा वैश्विक है। इससे न सिर्फ वैज्ञानिकों को भूकंप, बाढ़, सूखा, और जंगल की आग जैसी आपदाओं की भविष्यवाणी करने में मदद मिलेगी, बल्कि प्रभावित इलाकों को पहले से चेतावनी भी दी जा सकेगी।
निष्कर्ष:
‘निसार’ को ‘जासूस’ कहना केवल प्रतीकात्मक नहीं, तकनीकी दृष्टि से यह उपयुक्त उपमा है। यह सैटेलाइट पृथ्वी की लगातार निगरानी करेगा और किसी भी असामान्य परिवर्तन की सूचना समय रहते देगा। ऐसे समय में, जब प्राकृतिक आपदाएं बार-बार हो रही हैं, निसार दुनिया भर के लिए एक संजीवनी की तरह साबित हो सकता है।