


ऑपरेशन महादेव के तहत सेना ने पहलगाम हमले का बदला ले लिया है। इस ऑपरेशन में तीन खूंखार आतंकी मारे गए हैं, जिनमें पहलगाम हमले का मास्टरमाइंड भी शामिल है। ऑपरेशन श्रीनगर के पास दाचीगाम के ऊपरी जंगलों में चलाया गया।
22 अप्रैल 2025 को हुए पहलगाम आतंकी हमले में 26 लोगों की बेरहमी से हत्या कर दी गई थी। आतंकियों ने लोगों की धार्मिक पहचान पूछकर उन्हें गोली मारी थी। इस हमले के बाद से ही सेना आतंकियों की तलाश में जुटी थी।
ऑपरेशन को “महादेव” नाम क्यों दिया गया?
श्रीनगर के पास जबरवान रेंज की एक प्रमुख चोटी का नाम है महादेव चोटी। यह इलाका धार्मिक और सामरिक दोनों दृष्टि से अहम है। लिदवास और मुलनार इलाके से यह चोटी साफ दिखाई देती है। इसीलिए इस अभियान को “ऑपरेशन महादेव” नाम दिया गया।
कैसे हुआ आतंकियों का पता?
सेना को एक सैटेलाइट फोन से संदिग्ध गतिविधियों का पता चला, जो पहलगाम हमले के दौरान इस्तेमाल हुआ था। इसी डिवाइस के दोबारा एक्टिव होने से दाचीगाम के ऊपरी क्षेत्र में आतंकियों की मौजूदगी की जानकारी मिली।
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इसके बाद सेना की 24 राष्ट्रीय राइफल्स (RR) और 4 पैरा स्पेशल फोर्सेज ने क्षेत्र की घेराबंदी की। रविवार रात लिदवास के जंगल में आतंकियों की हलचल देखी गई, जिसके बाद मुठभेड़ शुरू हो गई।
कौन थे मारे गए आतंकी?
हालांकि सेना ने अभी अधिकारिक रूप से पहचान की पुष्टि नहीं की है, लेकिन सैन्य सूत्रों के अनुसार मारे गए आतंकियों में:
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सुलेमान उर्फ आसिफ: पहलगाम हमले का मुख्य साजिशकर्ता
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जिबरान: सोनमर्ग सुरंग हमले में शामिल
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हमजा अफगानी: पाकिस्तान से आया लश्कर-ए-ताइबा आतंकी
इनके पास से अमेरिकी M4 कार्बाइन राइफल, एके सीरीज की दो राइफलें और अन्य हथियार बरामद किए गए हैं।

ऑपरेशन की सफलता में क्या खास रहा?
इस बार सेना ने पिछले अनुभवों से सीख ली।
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इलाके की सतत निगरानी की गई
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सटीक जानकारी मिलने के बाद ही ऑपरेशन शुरू किया गया
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भारी गोलीबारी के बाद तीनों आतंकियों को मौके पर ही मार गिराया गया
सेना की चिनार कोर ने बताया कि ऑपरेशन अभी भी जारी है ताकि और आतंकियों की तलाश की जा सके।
पहले भी इसी इलाके में हुई थी मुठभेड़
दाचीगाम का यही क्षेत्र पहले भी आतंकी गतिविधियों का केंद्र रहा है। नवंबर और दिसंबर 2024 में भी यहां मुठभेड़ हुई थी, जिसमें लश्कर का टॉप कमांडर जुनैद भट मारा गया था।
शहीद लेफ्टिनेंट के पिता का बयान
लेफ्टिनेंट विनय नरवाल की शहादत के बाद उनके पिता राजेश नरवाल ने कहा, “मुझे भरोसा था कि एक दिन हमारी सेना बदला जरूर लेगी। मैं सेना और सुरक्षा बलों की बहादुरी को सलाम करता हूं। उन्होंने जो किया, वह आसान नहीं था।”
निष्कर्ष
ऑपरेशन महादेव सिर्फ एक सैन्य कार्रवाई नहीं, बल्कि उन मासूम लोगों के लिए न्याय है जो आतंक का शिकार बने। सेना की तेज कार्रवाई और सटीक योजना ने एक बार फिर साबित कर दिया कि देश की रक्षा में कोई समझौता नहीं होगा।