

देश में जल्द ही सहकारी मॉडल पर आधारित टैक्सी सेवाएं शुरू होने जा रही हैं, जो ओला-ऊबर जैसी निजी सेवाओं को सीधी प्रतिस्पर्धा देंगी। केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को नई सहकारिता नीति 2025 जारी करते हुए इस योजना की औपचारिक घोषणा की।
अमित शाह ने बताया कि केंद्र सरकार की योजना है कि देश के हर गांव में कम से कम एक सहकारी समिति स्थापित की जाए और हर तहसील स्तर पर पांच मॉडल सहकारी गांव विकसित किए जाएं। योजना के तहत वर्ष के अंत तक कई प्रमुख शहरों में ‘सहकार टैक्सी’ सेवाएं शुरू की जा सकती हैं, जो स्थानीय स्तर पर संचालित सहकारी समितियों द्वारा चलाई जाएंगी।
सहकारिता को बताया भविष्य का मॉडल
नई सहकार नीति के उद्घाटन कार्यक्रम में अमित शाह ने कहा, “2020 से पहले सहकारिता को मृत मान लिया गया था, लेकिन हम इसे भारत की विकास नीति का केंद्र बना रहे हैं।” उन्होंने कहा कि यह नीति अगले 25 वर्षों तक सहकारिता क्षेत्र की जरूरतों को पूरा करने के लिए तैयार की गई है और इसका उद्देश्य देश की अर्थव्यवस्था में सहकारिता के योगदान को तीन गुना करना है।
नीति निर्माण में शामिल रहे विशेषज्ञ
इस नीति का मसौदा पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश प्रभु के नेतृत्व वाली एक 40 सदस्यीय समिति ने तैयार किया, जिसमें देश भर से विशेषज्ञों, शिक्षाविदों और नेताओं की राय ली गई। समिति को कुल 750 सुझाव मिले थे, जिनमें से कई को शामिल किया गया। नीति को अंतिम रूप देने से पहले आरबीआई और नाबार्ड जैसे संगठनों से भी परामर्श किया गया।
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सहकारी टैक्सी सेवा की विशेषताएं
नई सहकार टैक्सी योजना के अंतर्गत टैक्सी सेवा का स्वामित्व और संचालन स्थानीय स्तर पर पंजीकृत सहकारी समितियों के पास होगा। इससे स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा, किराए पर नियंत्रण रहेगा और मुनाफा स्थानीय समुदाय में ही वितरित होगा। यह मॉडल निजी कंपनियों की तुलना में अधिक जवाबदेह और पारदर्शी माने जा रहा है।
गांव-गांव में सहकारी सेवा केंद्र
नीति के तहत प्राथमिक ऋण सहकारी समितियों (PACS) को बहुउद्देशीय सेवा केंद्र के रूप में विकसित किया जाएगा। इनमें दवा, पेट्रोल-डीजल और रसोई गैस जैसे आवश्यक उत्पादों की आपूर्ति की जाएगी। अब तक 4108 PACS को जन औषधि केंद्र खोलने की अनुमति मिल चुकी है, वहीं 393 PACS ने पेट्रोल पंप और 100 से अधिक PACS ने एलपीजी वितरण के लिए आवेदन किया है।
नई नीति के प्रमुख बिंदु:
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प्रत्येक पंचायत में कम से कम एक प्राथमिक सहकारी इकाई स्थापित होगी
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सहकारी समितियों का क्लस्टर और निगरानी तंत्र विकसित किया जाएगा
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हर 10 वर्ष में सहकारिता कानून में आवश्यक संशोधन किया जाएगा
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सहकारी उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए विशेष ढांचा बनाया जाएगा
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देश की मौजूदा 8.3 लाख सहकारी समितियों की संख्या में 30% की वृद्धि का लक्ष्य
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कंप्यूटरीकरण और डिजिटलीकरण से पारदर्शिता को बढ़ावा मिलेगा
असर और संभावनाएं
विशेषज्ञों का मानना है कि सहकार टैक्सी योजना से शहरी क्षेत्रों में परिवहन की दिशा में बड़ा परिवर्तन आ सकता है। इससे निजी टैक्सी कंपनियों पर निर्भरता घटेगी और स्थानीय स्तर पर आय के अवसर बढ़ेंगे।
यदि यह योजना सफल होती है, तो यह सहकारिता आंदोलन को ग्रामीण भारत से शहरी भारत तक विस्तार देने वाला एक ऐतिहासिक कदम साबित हो सकता है।