

OBC हितों पर राहुल गांधी का आत्मस्वीकार: अब जातिगत जनगणना को बनाया एजेंडा
नई दिल्ली: कांग्रेस नेता और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने शुक्रवार को ‘भागीदारी न्याय सम्मेलन’ के मंच से एक महत्वपूर्ण स्वीकारोक्ति की। उन्होंने कहा कि उन्होंने और कांग्रेस पार्टी ने ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) के हितों की पूरी तरह रक्षा नहीं की, और यह उनकी एक राजनीतिक चूक रही। उन्होंने इस बात को खुले मंच से स्वीकार कर सुधार का संकल्प लिया।
“समझ नहीं पाया ओबीसी की गहराई” — राहुल गांधी
दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में आयोजित इस सम्मेलन में राहुल गांधी ने कहा,
“मैं 2004 से राजनीति में हूं। मनरेगा, फूड सिक्योरिटी, ट्राइबल बिल जैसे कई काम किए, लेकिन एक जगह कमी रह गई। मुझे ओबीसी समाज की समस्याओं की गहराई तब समझ नहीं आई। अगर समझ में आती तो उसी समय जातिगत जनगणना करवा देता।”
- Advertisement -
21वीं सदी ‘डेटा की सदी’, OBC के लिए जरूरी आंकड़े
राहुल गांधी ने कहा कि आज नीति निर्धारण डेटा पर आधारित होना चाहिए। उन्होंने तेलंगाना में हुई जातिगत जनगणना का उदाहरण देते हुए कहा कि ऐसे आंकड़े यह दिखाते हैं कि किस वर्ग को कितना प्रतिनिधित्व मिल रहा है। उन्होंने कहा कि
“एससी, एसटी और ओबीसी को कॉरपोरेट और प्रबंधन क्षेत्रों में वह हिस्सेदारी नहीं मिल रही जो उन्हें मिलनी चाहिए। जबकि मनरेगा और असंगठित क्षेत्र में ये वर्ग सबसे ज्यादा दिखाई देते हैं।”
बजट और ‘हलवा बांटने’ पर कसा तंज
उन्होंने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा,

“जब बजट बनता है और ‘हलवा’ बांटा जाता है, तब वहां 90% आबादी का कोई नहीं होता। आप हलवा बनाते हैं और खाते कोई और हैं। हम यह नहीं कहते कि कोई न खाए, लेकिन आपको भी तो हिस्सा मिलना चाहिए।”
जातिगत जनगणना कांग्रेस की प्राथमिकता
राहुल गांधी ने घोषणा की कि अब जातिगत जनगणना कांग्रेस का प्रमुख एजेंडा होगी। इससे ओबीसी, दलित और आदिवासी वर्गों को नीति निर्माण में उनकी वास्तविक हिस्सेदारी सुनिश्चित की जा सकेगी।
उन्होंने कहा कि,
“बिना डेटा, न्याय और हिस्सेदारी की बात करना केवल भाषण है। हमें वास्तविक आंकड़े चाहिए ताकि सही फैसले लिए जा सकें।”
PM मोदी और RSS पर सीधा हमला
राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) को भी आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि सत्ता की कुंजी जनता के बहुमत वर्ग के हाथ में नहीं है और यही असंतुलन लोकतंत्र को कमजोर करता है। उन्होंने दावा किया कि भाजपा ने ओबीसी के नाम पर राजनीति की है, लेकिन असल में उन्हें हाशिए पर रखा है।
राजनीतिक संकेत और रणनीति
विश्लेषकों के अनुसार, राहुल गांधी का यह बयान और आत्मस्वीकार राजनीतिक रूप से एक रणनीतिक बदलाव का संकेत है। कांग्रेस अब ओबीसी, एससी और एसटी वोट बैंक को प्रत्यक्ष रूप से संबोधित करने की कोशिश कर रही है। यह आगामी लोकसभा सत्र और 2029 चुनावों के लिए कांग्रेस के एजेंडे का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन सकता है।
निष्कर्ष
राहुल गांधी का यह बयान केवल आत्मस्वीकार नहीं बल्कि राजनीतिक पुनर्संयोजन की शुरुआत है। OBC हितों को लेकर कांग्रेस अब खुलकर सामने आ गई है, और आने वाले समय में यह मुद्दा राजनीतिक बहस का केंद्र बन सकता है।