

प्रदेश के सरकारी स्कूलों में नया शैक्षणिक सत्र 1 जुलाई से शुरू हो चुका है। आज 25 दिन बीत चुके हैं, लेकिन पहली से छठी कक्षा तक के विद्यार्थियों को अब तक पाठ्य पुस्तकें नहीं मिली हैं। लगभग एक महीने की पढ़ाई के बावजूद बच्चे किताबों के बिना ही पढ़ने को मजबूर हैं, जिससे शैक्षणिक कार्य गंभीर रूप से प्रभावित हो रहा है।
ऑनलाइन कंटेंट से चल रही पढ़ाई
पुस्तकों की अनुपलब्धता के चलते शिक्षक मजबूरी में ऑनलाइन कंटेंट, डिजिटल संसाधन और पुराने नोट्स के माध्यम से बच्चों को पढ़ा रहे हैं। हालांकि यह विकल्प सभी विद्यार्थियों के लिए समान रूप से प्रभावी नहीं है, खासकर उन छात्रों के लिए जिनके पास डिजिटल संसाधनों की कमी है।
18 अगस्त से होने हैं फर्स्ट टेस्ट
स्थिति और भी गंभीर इसलिए हो गई है क्योंकि 18 अगस्त से पहली मूल्यांकन परीक्षा (फर्स्ट टेस्ट) शुरू होने जा रही है। बिना किताबों के परीक्षा की तैयारी कर पाना विद्यार्थियों के लिए अत्यंत कठिन हो रहा है। शिक्षकों का कहना है कि सीमित संसाधनों में पाठ्यक्रम पूरा कर पाना संभव नहीं होगा।
नई शिक्षा नीति बनी देरी की वजह
इस साल राज्य सरकार ने पहली से पांचवीं कक्षा तक के सिलेबस में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत बड़े बदलाव किए हैं। इसके तहत नई किताबें छपवाई गई हैं, जिनमें काफी देरी हो गई। छठी कक्षा की कुछ किताबें भी बदली गई हैं, इसलिए शिक्षक पुरानी किताबों से भी नहीं पढ़ा पा रहे।
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सातवीं से 12वीं तक की किताबें ही पहुंचीं
पाठ्य पुस्तक मंडल ने दावा किया है कि निशुल्क किताबों का वितरण शुरू कर दिया गया है, लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि जिले के अधिकांश सरकारी स्कूलों में केवल सातवीं से 12वीं तक की किताबें ही पहुंच पाई हैं। पहली से छठी कक्षा तक की किताबें अब भी स्कूलों तक नहीं पहुंची हैं।

विद्यार्थियों और अभिभावकों में चिंता
लंबी देरी के कारण विद्यार्थियों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है और अभिभावकों में भी चिंता का माहौल है। कुछ अभिभावकों ने निजी खर्च पर पुरानी किताबें खरीदने की कोशिश की, लेकिन बदले हुए सिलेबस के कारण वे भी अब उपयोगी नहीं रहीं।
शिक्षकों की मांग— शीघ्र समाधान हो
शिक्षकों और स्कूल प्रबंधन ने मांग की है कि जल्द से जल्द पाठ्य पुस्तकों का वितरण किया जाए ताकि छात्रों की पढ़ाई पटरी पर लौट सके। समय पर किताबें न पहुंचने से शिक्षण प्रक्रिया के साथ-साथ मूल्यांकन प्रणाली भी संकट में पड़ती नजर आ रही है।
इस विषय पर राज्य सरकार या शिक्षा विभाग की ओर से कोई स्पष्ट तिथि या ठोस जवाब अब तक सामने नहीं आया है।