

ऑपरेशन सिंदूर पर बोले CDS अनिल चौहान: युद्ध की परिभाषा बदल रही है, अब चाहिए हाइब्रिड वॉरियर्स
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा नीति के अहम स्तंभ और देश के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल अनिल चौहान ने गुरुवार को ऑपरेशन सिंदूर को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह ऑपरेशन अभी भी जारी है और इसके तहत हमारी सेनाओं को चौबीसों घंटे सतर्क और तैयार रहना होगा। उनका यह बयान राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में आयोजित एक रक्षा संगोष्ठी के दौरान आया।
युद्ध की बदलती परिभाषा पर जोर
जनरल चौहान ने कहा कि भविष्य के युद्ध पारंपरिक नहीं होंगे। उन्होंने “कन्वर्जेंस वॉरफेयर” शब्द का उपयोग करते हुए बताया कि अब युद्ध में पारंपरिक और तकनीकी दोनों ही पक्षों का सम्मिलन होगा। काइनेटिक (हथियार आधारित) और नॉन-काइनेटिक (डिजिटल, साइबर, नैरेटिव) युद्ध अब एक-दूसरे में घुलमिल चुके हैं।
तीन स्तरों पर दक्षता अनिवार्य
उन्होंने कहा कि भविष्य का सैनिक केवल सीमा पर लड़ने वाला नहीं होगा, बल्कि उसे रणनीतिक, परिचालन और सामरिक—तीनों स्तरों पर दक्ष होना होगा। एक योद्धा को थल, जल, नभ के साथ-साथ साइबर और कॉग्निटिव वॉरफेयर में भी महारत हासिल होनी चाहिए।
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तीसरी सैन्य क्रांति का युग
सीडीएस चौहान ने इसे “तीसरी सैन्य क्रांति” करार दिया। उन्होंने कहा कि युद्ध केवल बंदूकों, टैंकों या मिसाइलों तक सीमित नहीं रह गया है। अब एक ही समय में ड्रोन हमला, साइबर अटैक, नैरेटिव वॉर और अंतरिक्ष में तकनीकी अवरोध जैसी घटनाएं आपस में जुड़ सकती हैं।
हाइब्रिड वॉरियर्स की परिकल्पना
जनरल चौहान ने बताया कि भविष्य में सेना को “हाइब्रिड वॉरियर्स” की आवश्यकता होगी। ऐसे योद्धा जो:
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बॉर्डर पर लड़ाई लड़ सकें
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रेगिस्तान में रणनीति बना सकें
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शहरों में काउंटर-इंसर्जेंसी ऑपरेशन चला सकें
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ड्रोन और साइबर हमलों को नाकाम कर सकें
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सूचना युद्ध में नैरेटिव गढ़ सकें और फर्जी प्रचार का जवाब दे सकें
तीन नए प्रकार के सैनिकों की आवश्यकता
सीडीएस ने कहा कि आने वाले समय में सेना को तीन प्रकार के योद्धाओं की जरूरत होगी:
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टेक वॉरियर्स – जो AI और साइबर स्पेस में निपुण हों
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इंफो वॉरियर्स – जो सूचना युद्ध और नैरेटिव्स को संभालें
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स्कॉलर वॉरियर्स – जो रणनीति और सैन्य विज्ञान की गहरी समझ रखते हों
उन्होंने यह भी कहा कि अब “शस्त्र” (हथियार) के साथ “शास्त्र” (ज्ञान) की भी उतनी ही जरूरत है। आधुनिक युद्ध सिर्फ ताकत नहीं, बल्कि समझ, तकनीक और सूचना की लड़ाई बन चुका है।
ऑपरेशन सिंदूर का उल्लेख
सीडीएस चौहान ने स्पष्ट किया कि ऑपरेशन सिंदूर अभी खत्म नहीं हुआ है, यह भारत की सुरक्षा व्यवस्था का सक्रिय हिस्सा बना हुआ है। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि सेना को 24×7 उच्चतम स्तर की तैयारी बनाए रखनी होगी ताकि किसी भी चुनौती का तुरंत और प्रभावशाली ढंग से जवाब दिया जा सके।