

भारत से 5000 किलोमीटर दूर दक्षिण-पूर्व एशिया के दो बौद्ध बहुल राष्ट्र—थाईलैंड और कंबोडिया—11वीं शताब्दी के एक हिंदू मंदिर को लेकर खूनी संघर्ष में उलझ गए हैं। इस संघर्ष में अब तक 14 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है और युद्ध की आशंका गहराती जा रही है।
गुरुवार को दोनों देशों की सेनाओं के बीच कम से कम छह सीमावर्ती क्षेत्रों में भारी गोलीबारी और एफ-16 लड़ाकू विमानों द्वारा बमबारी हुई। थाईलैंड की वायुसेना ने कंबोडिया के दो सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया, जिसमें 12 से अधिक थाई सैनिकों समेत 2 नागरिक मारे गए और 14 अन्य घायल हो गए।
कंबोडिया ने थाईलैंड के एफ-16 विमानों के उपयोग की कड़ी निंदा की है और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से तत्काल बैठक बुलाने की मांग की है। उधर, थाईलैंड के कार्यवाहक प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्होंने अब तक औपचारिक रूप से युद्ध की घोषणा नहीं की है, लेकिन अपने देश की रक्षा के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएंगे।
विवाद का केंद्र: एक प्राचीन शिव मंदिर
यह संघर्ष एक प्राचीन शिव मंदिर “प्रीह विहियर” (Preah Vihear) को लेकर है, जिसे थाईलैंड में “खाओ फ्रा विहारन” के नाम से जाना जाता है। यह मंदिर एक पहाड़ी की चोटी पर स्थित है और इसकी स्थिति ऐसे विवादित क्षेत्र में है, जिसका स्पष्ट सीमांकन औपनिवेशिक काल में नहीं हो पाया था। मंदिर के आसपास के इलाकों में ता मोआन थॉम और ता मुएन थॉम जैसे अन्य महत्वपूर्ण मंदिर भी स्थित हैं।
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ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
फ्रांसीसी औपनिवेशिक शासन के दौरान इस क्षेत्र को कंबोडिया को सौंप दिया गया था। 1962 में अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने मंदिर क्षेत्र पर कंबोडिया का अधिकार स्वीकार किया, लेकिन थाईलैंड ने मंदिर से लगे क्षेत्रों पर अब तक दावा नहीं छोड़ा है। मंदिर परिसर में शिवलिंग और संस्कृत शिलालेख इसकी हिंदू विरासत को स्पष्ट करते हैं, हालांकि बाद के खमेर राजाओं के बौद्ध धर्म अपनाने के बाद इन मंदिरों का उपयोग बौद्ध मठों के रूप में होने लगा।
ताजा घटनाक्रम और राजनयिक संकट
गुरुवार को हुई झड़प से पहले सीमा पर एक लैंडमाइन विस्फोट में पांच थाई सैनिक घायल हो गए थे। थाईलैंड ने कंबोडिया पर नई लैंडमाइंस बिछाने का आरोप लगाया और कंबोडियाई राजदूत को निष्कासित कर दिया। कंबोडिया ने आरोप लगाया कि थाई सेना ड्रोन के ज़रिए मंदिर क्षेत्र की जासूसी कर रही थी।

इससे पहले मई 2025 में भी मंदिर परिसर में दोनों देशों के सैनिकों के बीच टकराव हुआ था, जिसमें एक कंबोडियाई सैनिक की मौत हो गई थी। इसके बाद दोनों देशों ने व्यापारिक व कूटनीतिक प्रतिबंध लगाने शुरू कर दिए, जिससे तनाव और बढ़ गया।
थाईलैंड की आंतरिक राजनीति पर असर
थाईलैंड की आंतरिक राजनीति पर भी इस विवाद का असर पड़ा है। हाल ही में प्रधानमंत्री पैतोंगटार्न शिनावात्रा को इस मुद्दे पर हुई बातचीत के लीक होने के बाद पद से निलंबित कर दिया गया। आरोप था कि उन्होंने कंबोडिया के एक वरिष्ठ नेता के साथ निजी बातचीत में थाई संप्रभुता को लेकर आपत्तिजनक बातें कहीं थीं।
इतिहास में पहले भी हो चुके हैं संघर्ष
इससे पहले 2008 में भी इसी मंदिर को लेकर दोनों देशों के बीच एक सप्ताह तक गोलीबारी चली थी, जिसमें 12 लोगों की जान गई थी। 2011 में भी इसी इलाके में तोपों से हमला हुआ था। मंदिर को 2008 में यूनेस्को विश्व धरोहर घोषित किए जाने के बाद तनाव और गहरा गया।
भारत का रुख और संबंध
भारत के थाईलैंड और कंबोडिया दोनों से गहरे संबंध हैं। थाईलैंड के साथ भारत बिम्सटेक का हिस्सा है और दोनों देश नियमित रूप से सैन्य अभ्यास करते हैं। वहीं, भारत ने कंबोडिया को बुनियादी ढांचे और सांस्कृतिक धरोहरों की बहाली में सहायता प्रदान की है, जैसे अंगकोर वाट और ता प्रोहम मंदिरों के संरक्षण में।
हालांकि भारत इस संघर्ष में प्रत्यक्ष रूप से शामिल नहीं है, लेकिन उसकी क्षेत्रीय नीति, विशेषकर “एक्ट ईस्ट पॉलिसी”, के तहत यह घटनाक्रम चिंता का विषय बन सकता है।