

UIDAI की नई पहल: स्कूलों में 5 साल से ऊपर बच्चों का होगा आधार बायोमेट्रिक अपडेट
भारत सरकार का यूनिक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया (UIDAI) अब देशभर के स्कूलों के जरिए पांच वर्ष से अधिक आयु के बच्चों का आधार बायोमेट्रिक अपडेट कराने की योजना पर काम कर रहा है। इस प्रक्रिया की शुरुआत आगामी 45 से 60 दिनों के भीतर चरणबद्ध तरीके से की जाएगी। यह कदम इसलिए जरूरी है क्योंकि वर्तमान में करीब 7 करोड़ से ज्यादा बच्चों का अनिवार्य बायोमेट्रिक अपडेट लंबित है।
क्या होता है बायोमेट्रिक अपडेट और क्यों जरूरी है?
बच्चों के आधार कार्ड में 5 वर्ष की आयु पूरी होने पर पहला बायोमेट्रिक अपडेट अनिवार्य होता है, जिसमें फिंगरप्रिंट और आंखों की पुतली (आईरिस) की स्कैनिंग की जाती है। अगर यह अपडेट समय पर नहीं किया गया, तो UIDAI नियमों के अनुसार बच्चे का आधार अस्थायी रूप से डिएक्टिवेट हो सकता है।
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5 से 7 साल की उम्र में यह अपडेट मुफ्त है।
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7 साल के बाद यह सेवा लेने पर ₹100 का शुल्क लगेगा।
स्कूलों के जरिए कैसे होगा यह अपडेट?
UIDAI अब स्कूलों को केंद्र बनाकर यह सेवा देने जा रहा है। इसके तहत:
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माता-पिता या अभिभावकों की लिखित सहमति ली जाएगी।
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हर जिले में घूमंतू बायोमेट्रिक किट उपलब्ध कराई जाएगी।
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एक मोबाइल टीम स्कूलों में जाकर बच्चों का बायोमेट्रिक अपडेट करेगी।
यह पहल खासकर उन इलाकों में फायदेमंद होगी जहां आधार केंद्रों की पहुंच सीमित है। फिलहाल तकनीकी परीक्षण चल रहा है, और जल्द ही इसे देशभर में लागू किया जाएगा।

भविष्य की योजना: 15 वर्ष के बाद भी स्कूलों से अपडेट
UIDAI आगे चलकर 15 वर्ष की उम्र के बाद होने वाले दूसरे अनिवार्य बायोमेट्रिक अपडेट को भी स्कूलों और कॉलेजों के माध्यम से कराने की योजना पर विचार कर रहा है। इससे बच्चों के सभी आधार विवरण समय पर अद्यतन रहेंगे और सरकारी लाभों से वंचित नहीं रहेंगे।
सरकारी योजनाओं से सीधे जुड़ा है अपडेट
बायोमेट्रिक अपडेट किए गए आधार कार्ड से बच्चों को कई तरह की सरकारी सुविधाएं समय पर मिल सकती हैं:
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स्कूलों में प्रवेश
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छात्रवृत्ति (Scholarship) योजनाएं
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डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT)
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बोर्ड परीक्षाओं और अन्य प्रवेश परीक्षाओं में उपयोग
UIDAI के अनुसार, “स्कूलों के माध्यम से बच्चों तक पहुंचना सबसे प्रभावी तरीका है ताकि कोई भी बच्चा सरकारी योजनाओं के लाभ से वंचित न रहे।”
निष्कर्ष
UIDAI की यह नई पहल न सिर्फ आधार डेटा को अपडेट रखने में मदद करेगी, बल्कि बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक योजनाओं से जुड़ाव को भी मजबूत बनाएगी। सरकार चाहती है कि हर बच्चा डिजिटल पहचान के माध्यम से सुगमता से सभी योजनाओं का लाभ ले सके।