

बीकानेर संभाग में नशे का बढ़ता खतरा, युवाओं में तेजी से फैल रहा है जानलेवा ट्रेंड
बीकानेर संभाग में नशे का जाल दिन-ब-दिन गहराता जा रहा है। खासतौर पर युवा वर्ग इसकी चपेट में तेजी से आ रहा है। एमडी, हेरोइन, स्मैक और एमडीएमए जैसे जानलेवा और महंगे नशे अब आम हो चले हैं। ये नशीले पदार्थ न केवल शारीरिक रूप से खतरनाक हैं, बल्कि युवाओं के भविष्य को भी अंधकार में धकेल रहे हैं।
पांच सालों में पांच गुना बढ़ी खपत, बीस गुना बढ़ी तस्करी
बीकानेर रेंज में नशे से जुड़े हालात चिंताजनक हैं। आंकड़ों के अनुसार, पिछले पांच वर्षों में नशीले पदार्थों की खपत में पांच गुना और तस्करी में बीस गुना बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
2025 के पहले छह महीनों में ही 862 मामले दर्ज किए गए हैं, जिसमें 1083 तस्करों की गिरफ्तारी हो चुकी है। यह संख्या बताती है कि नशे का कारोबार अब हर गली-मोहल्ले और हर तबके तक पहुंच चुका है।
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गिरफ्तारी तो हुई, पर नशे का जाल और भी फैला
पुलिस रिकॉर्ड बताता है कि पिछले पांच वर्षों में 8513 लोगों को नशे के कारोबार में संलिप्त पाए जाने पर गिरफ्तार किया गया। इसके साथ ही करोड़ों रुपये का नशा जब्त किया गया है। बावजूद इसके, नशे का नेटवर्क तेजी से फैलता जा रहा है।
बीकानेर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक ओमप्रकाश ने बताया कि लगातार अभियान चल रहे हैं और बड़ी मात्रा में खेप पकड़ी गई है। परंतु असली चुनौती नशे के नेटवर्क को जड़ से खत्म करना है।

नशे का शहरी और ग्रामीण इलाकों में समान असर
अब नशे की तस्करी केवल शहरों तक सीमित नहीं रही। ग्रामीण इलाकों में भी नशे के नेटवर्क ने अपनी पकड़ बना ली है। स्कूल-कॉलेज जाने वाले युवाओं से लेकर बेरोजगार युवक तक इसकी चपेट में आ रहे हैं।
जांच में सामने आया है कि अब डोडा-पोस्त जैसे पारंपरिक नशों की जगह एमडीएमए और स्मैक जैसे सिंथेटिक ड्रग्स ने ले ली है, जो कि अधिक खतरनाक हैं और तेज़ी से लत पैदा करते हैं।
पुलिस के लिए गंभीर चुनौती
हालांकि पुलिस सक्रिय है, पर गुप्त तरीकों से हो रही तस्करी पुलिस के लिए एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। तस्कर लगातार नए रास्ते और तरीके अपना रहे हैं, जिससे कई बार पुलिस की कोशिशें नाकाफी साबित हो रही हैं।
निष्कर्ष
बीकानेर संभाग में नशे की गंभीर समस्या अब समाज, प्रशासन और परिवार—तीनों के लिए एक चेतावनी है। अगर समय रहते सख्त कदम नहीं उठाए गए, तो यह आने वाले समय में सामाजिक और मानसिक स्वास्थ्य की एक बड़ी आपदा बन सकता है। अब जरूरत है नशे के खिलाफ एक समर्पित और ठोस जनआंदोलन की, जो युवाओं को इस दलदल से बाहर निकाले।