

पंजाब सरकार ने पेश किया ऐतिहासिक विधेयक: धर्म ग्रंथों की बेअदबी पर उम्रकैद, 20 लाख तक जुर्माना
चंडीगढ़ – पंजाब सरकार ने धर्म ग्रंथों की बेअदबी की घटनाओं को रोकने के लिए ‘पंजाब पवित्र धर्मग्रंथों के विरुद्ध अपराधों की रोकथाम विधेयक 2025’ (Punjab Prevention of Offences Against Holy Scriptures Bill 2025) को विधानसभा में पेश किया है। इस कठोर कानून के तहत अब गुरु ग्रंथ साहिब, भगवद गीता, कुरान और बाइबिल जैसे धर्मग्रंथों के अपमान पर आजीवन कारावास और 20 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकेगा।
मुख्यमंत्री भगवंत मान की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में इस विधेयक को मंजूरी दी गई। विधेयक मंगलवार को चर्चा के लिए रखा जाएगा।
किसे माना जाएगा अपराध?
इस विधेयक के तहत निम्न कार्य गंभीर अपराध की श्रेणी में आएंगे:
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किसी भी पवित्र ग्रंथ या उसके हिस्से का जलाना, फाड़ना, तोड़ना, विकृत करना या नष्ट करना
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किसी भी धार्मिक स्थल या प्रतीक का अपमान या अपवित्रीकरण
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दंगे भड़काने या इससे किसी की मृत्यु या संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वाले कार्य
इन अपराधों को संज्ञेय, गैर-जमानती और गैर-शमनीय घोषित किया गया है। इनके मामलों की जांच डीएसपी या उससे उच्च अधिकारी ही कर सकेंगे और मामला सत्र न्यायालय में चलेगा।
सजा और दंड का प्रावधान
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आजीवन कारावास तक की सजा
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₹5 लाख से ₹10 लाख तक का जुर्माना
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यदि अपमान की घटना से दंगे, जानमाल का नुकसान या किसी की मौत होती है, तो
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20 साल से आजीवन कारावास
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₹10 लाख से ₹20 लाख तक जुर्माना
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साथ ही इस अपराध के दोषियों को पैरोल, फर्लो या अन्य राहतें नहीं मिलेंगी।
प्रयास करने पर भी होगी सजा
अगर कोई व्यक्ति बेअदबी की कोशिश करता है, तो:
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3 से 5 साल की सजा
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3 लाख रुपये तक जुर्माना
क्यों जरूरी था यह विधेयक?
पिछले 5 वर्षों में 100 से ज्यादा बेअदबी की घटनाएं सामने आईं। मौजूदा भारतीय कानूनों में ऐसे मामलों के लिए विशेष दंड का अभाव है। भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धाराएं 298, 299 और 300 जरूर मौजूद हैं, लेकिन वे सभी धर्मों के ग्रंथों और संस्थानों की बेअदबी से जुड़ी गंभीर घटनाओं को सीधे कवर नहीं करतीं। इसी कमी को दूर करने के लिए यह विधेयक लाया गया है।
पिछली सरकारों का प्रयास
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2016: अकाली-भाजपा सरकार ने सिर्फ गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी के लिए सख्त कानून प्रस्तावित किया, लेकिन केंद्र ने इसे खारिज कर दिया।
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2018: कांग्रेस सरकार ने सभी धर्मों के पवित्र ग्रंथों को शामिल करते हुए विधेयक पास किया, लेकिन उसे राष्ट्रपति की मंजूरी नहीं मिली।
विपक्ष की प्रतिक्रिया
विपक्ष के नेता प्रताप सिंह बाजवा ने कहा कि विधेयक पर विस्तार से चर्चा करने के लिए पर्याप्त समय मिलना चाहिए। विधानसभा अध्यक्ष ने इस पर चर्चा को मंगलवार तक स्थगित कर दिया है।