

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है। यह मामला शिवमोग्गा जिले में सिगंदूर पुल और अन्य राजमार्ग परियोजनाओं के उद्घाटन समारोह से जुड़ा है, जिसे गडकरी ने हाल ही में आयोजित किया था। सिद्धारमैया ने इसे राज्य सरकार की अनदेखी और प्रोटोकॉल का उल्लंघन बताया है।
मुख्यमंत्री ने अपने पत्र में कहा कि राज्य सरकार से बिना परामर्श लिए कार्यक्रम आयोजित करना संघीय ढांचे की भावना के खिलाफ है। उन्होंने इस बात पर भी आपत्ति जताई कि निमंत्रण पत्र में मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री और अन्य राज्य पदाधिकारियों के नामों को नजरअंदाज कर पूर्व मुख्यमंत्री का नाम प्रमुखता से छापा गया, जो पूरी तरह से प्रोटोकॉल का उल्लंघन है।
सिद्धारमैया ने बताया कि समारोह की जानकारी उन्हें अन्य माध्यमों से मिली, जिसके बाद उन्होंने 11 जुलाई को केंद्रीय मंत्री गडकरी से बात कर कार्यक्रम स्थगित करने का अनुरोध किया। उन्होंने एक पत्र भी भेजा, लेकिन बावजूद इसके, कार्यक्रम 14 जुलाई को आयोजित किया गया।
उन्होंने कहा कि यह आयोजन उस समय किया गया जब संबंधित परियोजनाओं का काम अभी पूर्ण नहीं हुआ है, जिससे यह प्रतीत होता है कि राजनीतिक लाभ के लिए जल्दबाजी में यह कार्यक्रम रखा गया। साथ ही उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि सिगंदूर पुल परियोजना की परिकल्पना सबसे पहले राज्य सरकार ने की थी, जिसे बाद में केंद्र द्वारा लागू किया गया।
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इस पर केंद्र सरकार की ओर से प्रतिक्रिया देते हुए कहा गया कि मुख्यमंत्री को 11 जून को औपचारिक रूप से आमंत्रित किया गया था और 12 जुलाई को एक और पत्र भेजकर उनकी वर्चुअल उपस्थिति की भी अनुमति मांगी गई थी।
नितिन गडकरी ने भी सोशल मीडिया पर कहा कि यह कार्यक्रम क्षेत्रीय संपर्क को मजबूत करने के उद्देश्य से आयोजित किया गया, और इसमें कई महत्वपूर्ण राजमार्ग परियोजनाओं की आधारशिला रखी गई। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि मुख्यमंत्री को समय पर निमंत्रण भेजा गया था।
इस पूरे घटनाक्रम ने कर्नाटक की राजनीति में नया मोड़ ला दिया है और केंद्र-राज्य संबंधों को लेकर एक नई बहस छेड़ दी है।