

छांगुर का खौफनाक धर्मांतरण नेटवर्क: दुबई से ट्रेनिंग, तहखानों में प्लानिंग, पूरे देश में फैलाया जाल
1. शुरुआत – गिरफ़्तारी के बाद खुला बड़ा राज
अवैध धर्मांतरण के आरोप में एटीएस ने जमालुद्दीन उर्फ छांगुर पीर को गिरफ्तार किया तो यह महज़ एक गिरफ्तारी नहीं, बल्कि एक बहुस्तरीय नेटवर्क का खुलासा था। छांगुर उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जिले के उतरौला कस्बे से संचालित हो रहा था, लेकिन उसकी पहुंच दिल्ली, हरियाणा, नेपाल और खाड़ी देशों तक थी।
2. दुबई से बुलाता था कट्टर मौलाना, कोठियों में बनवाए तहखाने
जांच में पता चला कि छांगुर अपने गुर्गों को कट्टर इस्लामी प्रशिक्षण देने के लिए दुबई से मौलाना बुलाता था। इनके साथ नेपाल के दावत-ए-इस्लामी संगठन के सदस्य भी होते थे।
मधपुर और रेहरामाफी में बनीं उसकी दो आलीशान कोठियाँ प्रशिक्षण और प्रचार का गढ़ थीं। इन कोठियों के तहखाने में 20 से अधिक कक्ष बनवाए गए, जहां गुप्त बैठकें और ट्रेनिंग सेशन होते थे।
स्थानीय निर्माणकर्ता वसीउद्दीन ने बताया कि छांगुर ने पहले इसे स्कूल और फिर अस्पताल बताकर निर्माण करवाया। लेकिन उसके झूठ बहुत जल्द सामने आने लगे।
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3. हिंदू देवी-देवताओं के खिलाफ नफरत भरने की ट्रेनिंग
एटीएस की जांच में सामने आया कि प्रशिक्षण में शामिल युवाओं को हिंदू देवी-देवताओं के खिलाफ बोलना, वेशभूषा बदलना और धार्मिक प्रतीकों की नकल करना सिखाया जाता था।
छांगुर द्वारा लिखी गई “शिजर-ए-तयब्बा” नाम की किताब का मकसद भी इस्लाम का प्रचार और हिंदू युवाओं को भ्रमित करना था।
4. प्रेमजाल में फंसाकर धर्मांतरण: 579 जिलों में 3000 अनुयायी
सबसे चौंकाने वाला खुलासा यह रहा कि छांगुर ने देश के 579 हिंदू बहुल जिलों में तीन हजार से ज्यादा युवाओं को बतौर एजेंट तैनात किया था।
ये एजेंट हिंदू नाम रखकर युवतियों को प्रेमजाल में फंसाते थे। कई मामलों में निकाह के बाद वीडियो और ब्लैकमेलिंग के जरिए धर्म परिवर्तन कराया जाता था।
नोएडा, आजमगढ़, औरैया, हरियाणा तक में यह नेटवर्क सक्रिय था।
आजमगढ़ में उसका भतीजा सबरोज, और औरैया में मेराज नाम का युवक, ‘रुद्र’ जैसे हिंदू नाम रखकर लड़कियों को फंसा चुके थे। मेराज ने मानवी नाम की एक युवती के साथ शारीरिक शोषण कर वीडियो भी बना लिया।
5. विदेशी फंडिंग का खुलासा: सौ करोड़ से ज्यादा की रकम
धर्मांतरण की इस मुहिम के लिए छांगुर को विदेशी फंडिंग भी मिल रही थी।
एटीएस की जांच में पाया गया कि छांगुर और उसके सहयोगी नीतू, नवीन के खातों में 100 करोड़ रुपये से अधिक की रकम विदेशों से आई है।
चौंकाने वाली बात यह है कि कुछ ऐसे लोग भी हैं जो कभी विदेश नहीं गए, फिर भी उनके खातों में बड़ी राशि ट्रांसफर की गई।
एटीएस अब बैंक स्टेटमेंट, हवाला नेटवर्क और सोर्स की गहन जांच कर रही है।
6. गोंडा और बलरामपुर में बनाना चाहता था नया बेस
छांगुर की योजना बलरामपुर शहर में अपना नया ठिकाना बनाने की थी।
रोडवेज के पास उसने एक जमीन चिन्हित की थी, जहां वह “संपर्क कार्यालय” खोलना चाहता था। इसके लिए उसके बेटे महबूब या नीतू के नाम से जमीन लेने की कोशिश की गई थी।
गोंडा जिले के रेतवागाड़ा, वजीरगंज, नवाबगंज जैसे क्षेत्रों में रमज़ान नामक व्यक्ति के जरिए उसका नेटवर्क बन रहा था। अयोध्या के पास होने के कारण यह इलाका रणनीतिक रूप से छांगुर के लिए अहम था।
7. बेटा महबूब – अरबपति बनाने का सपना और साजिश की कमान
छांगुर का एक ही बेटा था—महबूब। वह चाहता था कि उसका बेटा न केवल अरबपति बने बल्कि पूरे धर्मांतरण अभियान का लीडर भी रहे।
महबूब ही अभियान की मॉनिटरिंग करता था, वहीं नवीन तकनीकी सहायता देता था। टीम में शामिल लोग देश भर में घूमकर हिंदू युवतियों की जानकारी जुटाते थे और रिपोर्ट छांगुर को भेजते थे।
8. छांगुर का गिरोह और पीछे की ताकतें – कौन चला रहा था नेटवर्क?
छांगुर के इस संगठित अभियान के पीछे कौन-कौन सी विदेशी या कट्टरपंथी ताकतें सक्रिय थीं, यह अब राष्ट्रीय सुरक्षा का विषय बन गया है।
नागपुर के एक प्रभावशाली व्यक्ति से भी उसके संबंधों की बात सामने आई है।
सवाल यह भी है कि इतने बड़े नेटवर्क को राजनीतिक या प्रशासनिक शरण तो नहीं मिली?
9. निष्कर्ष – क्या अब भी पूरी साजिश सामने आई है?
फिलहाल छांगुर जेल में है और उसका बेटा महबूब भी सलाखों के पीछे पहुंच चुका है। लेकिन सवाल यह है—
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क्या पूरी साजिश उजागर हो चुकी है?
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क्या अब भी देशभर में उसके जैसे स्लीपर सेल सक्रिय हैं?
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और क्या एटीएस व सुरक्षा एजेंसियां इस नेटवर्क की जड़ तक पहुंच पाएंगी?
अंतिम टिप्पणी
छांगुर का नेटवर्क किसी व्यक्तिगत लालच से कहीं बढ़कर था—यह एक सुनियोजित वैचारिक युद्ध था। धर्मांतरण की आड़ में सांस्कृतिक अस्थिरता फैलाने का प्रयास, जिसे अब बेनकाब किया जा चुका है।
यह सिर्फ एक गिरफ्तारी नहीं, बल्कि एक पूरे तंत्र के खिलाफ चेतावनी है।