

शुभांशु शुक्ला के अंतरिक्ष जाने पर उठे जातीय सवाल, कांग्रेस ने कहा- यह निजी विचार
नई दिल्ली। भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला के ऐतिहासिक अंतरिक्ष मिशन से लौटने के बाद जहां देशभर में उन्हें बधाइयां मिल रही हैं, वहीं कांग्रेस नेता उदित राज के बयान ने विवाद खड़ा कर दिया है। उन्होंने सवाल उठाया कि एक दलित को अंतरिक्ष भेजने का मौका क्यों नहीं मिला।
उदित राज बोले: दलित को भेजा जाना चाहिए था
उदित राज ने कहा, “जब 1984 में राकेश शर्मा गए थे तब एससी, एसटी, ओबीसी इतने शिक्षित नहीं थे। अब तो अवसर मिलना चाहिए। इस बार दलित को भेजने की बारी थी। नासा ने कोई प्रतियोगिता तो कराई नहीं।” उन्होंने यह भी कहा कि शुक्ला की जगह किसी दलित या ओबीसी व्यक्ति को भेजा जा सकता था।
कांग्रेस ने किया किनारा
इस बयान पर कांग्रेस ने भी फौरन सफाई दी। पार्टी के वरिष्ठ नेता तारिक अनवर ने कहा, “यह उदित राज का निजी बयान है, कांग्रेस इससे सहमत नहीं है। अंतरिक्ष यात्रा योग्यता और कठोर प्रशिक्षण पर आधारित होती है, इसे जातीय चश्मे से नहीं देखा जा सकता।”
धरती पर लौटे शुभांशु, मिशन बना ऐतिहासिक
शुभांशु शुक्ला हाल ही में एक्सिओम-4 मिशन से अंतरिक्ष यात्रा पूरी कर धरती पर लौटे हैं। वे 18 दिन अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर रहे और इस दौरान 60 से अधिक वैज्ञानिक प्रयोग किए। वह राकेश शर्मा के बाद अंतरिक्ष जाने वाले दूसरे भारतीय हैं।
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सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाओं की बाढ़
उदित राज के बयान के बाद सोशल मीडिया पर लोगों ने तीखी प्रतिक्रियाएं दीं। एक यूजर ने लिखा, “तो अब अंतरिक्ष मिशन लकी ड्रा हो गया है? योग्यता कोई मायने नहीं रखती?”
एक अन्य ने कटाक्ष करते हुए लिखा, “क्या अब सिर्फ जाति प्रमाणपत्र लेकर अंतरिक्ष यात्रा होगी?”
एक यूजर ने लिखा, “गुरुत्वाकर्षण को जाति की परवाह नहीं होती।”
निष्कर्ष
जहां एक ओर देश ने शुभांशु शुक्ला की उपलब्धि को अंतरराष्ट्रीय गौरव के रूप में देखा, वहीं दूसरी ओर राजनीतिक बयानों ने इस उपलब्धि को जातिगत विवाद में घसीटने की कोशिश की। हालांकि, कांग्रेस ने समय रहते बयान से दूरी बनाकर विवाद को सीमित कर दिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि अंतरिक्ष यात्राएं केवल योग्यता, तकनीकी क्षमता और कठोर प्रशिक्षण से तय होती हैं, न कि जाति से।