

अहमदाबाद विमान हादसे में बचे इकलौते यात्री की जिंदगी पलट गई, PTSD से लड़ रहे
गुजरात के अहमदाबाद में 12 जून को हुए भयावह एयर इंडिया विमान हादसे में 40 वर्षीय विश्वास कुमार रमेश इकलौते ऐसे व्यक्ति थे जो इस त्रासदी में जीवित बच पाए। भारतीय मूल के ब्रिटिश नागरिक विश्वास उस दिन अपने भाई अजय कुमार के साथ लंदन लौट रहे थे, लेकिन उड़ान भरने के कुछ ही मिनटों बाद विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इस हादसे में 241 यात्रियों सहित कुल 260 लोगों की जान चली गई।
मलबे से बाहर निकले लेकिन भीतर से टूट गए
हादसे के बाद से विश्वास की मानसिक स्थिति बेहद नाजुक है। मलबे से बाहर निकल आने के बावजूद उनके भीतर गहरा डर और गम बैठ गया है। उनके चचेरे भाई सनी कुमार ने बताया कि विश्वास रात में डरकर अचानक उठ जाते हैं, पसीने-पसीने हो जाते हैं और घंटों तक सो नहीं पाते।
PTSD से जूझ रहे विश्वास, ले रहे चिकित्सकीय सहायता
हादसे की भयावहता, भाई की मौत और जीवन-मृत्यु के उस क्षण ने विश्वास के मन-मस्तिष्क पर गहरा प्रभाव डाला है। अब वह पोस्ट ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (PTSD) से उबरने के लिए नियमित रूप से काउंसलिंग ले रहे हैं। परिवार और डॉक्टर दोनों चाहते हैं कि विश्वास पहले मानसिक रूप से पूरी तरह स्थिर हो जाएं, तभी लंदन लौटने का फैसला लिया जाएगा।
- Advertisement -
हादसे के बाद अस्पताल और अंतिम संस्कार की प्रक्रिया
17 जून को विश्वास को अहमदाबाद सिविल अस्पताल से छुट्टी दी गई थी। उसी दिन डीएनए परीक्षण के बाद उनके भाई अजय का शव सौंपा गया, और परिवार ने अंतिम संस्कार की प्रक्रिया पूरी की। विश्वास अभी भी अपने भाई की मौत के सदमे से उबर नहीं पाए हैं।

लंदन लौटने का नहीं लिया कोई निर्णय
हादसे से पहले विश्वास और अजय दादरा और नगर हवेली, दमन और दीव में अपने परिवार से मिलकर लंदन लौट रहे थे। लेकिन अब विश्वास ने लंदन लौटने को लेकर कोई फैसला नहीं लिया है। विदेश में रहने वाले रिश्तेदारों के कॉल भी वह नजरअंदाज कर रहे हैं।
वायरल वीडियो ने दुनिया को दिखाया दर्द
हादसे के बाद सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें विश्वास को मलबे से लड़खड़ाते हुए एम्बुलेंस की ओर जाते देखा गया। यह दृश्य कई लोगों को भावुक कर गया, लेकिन विश्वास के लिए यह एक पल नहीं बल्कि जीवनभर की याद बन गया है।
दर्द और डर की छाया अब भी बाकी
विश्वास भले ही हादसे में जीवित बच निकले हों, लेकिन वह आज भी उस दर्द, डर और गहरे शोक से जूझ रहे हैं। उनका मामला यह दर्शाता है कि किसी हादसे में बच जाना एक चमत्कार हो सकता है, लेकिन उसके बाद की मानसिक लड़ाई कहीं अधिक कठिन होती है।
परिवार और चिकित्सकों की मदद से धीरे-धीरे उबरने की कोशिश
विश्वास की जिंदगी अब एक नई राह पर है—एक ऐसी राह जहां हर दिन उन्हें अपनी भावनाओं, यादों और डर से लड़ना पड़ता है। डॉक्टरों और परिवार की मदद से वह इस मानसिक संकट से बाहर आने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। उनकी कहानी उन सभी लोगों के लिए संदेश है जो किसी हादसे के बाद अपनी भावनात्मक स्थिति को नजरअंदाज कर देते हैं।