

बिना अनुमति महिला की फोटो पोस्ट करना अपराध, जानें सजा और कानून
नई दिल्ली: डिजिटल युग में निजता (Privacy) का उल्लंघन एक गंभीर अपराध बनता जा रहा है। खासतौर पर महिलाओं की बिना अनुमति फोटो या वीडियो लेना और उसे सोशल मीडिया पर साझा करना कानूनन अपराध है। हाल ही में बेंगलुरु में एक युवक को इसी अपराध में गिरफ्तार किया गया, जिसने महिलाओं के वीडियो उनकी अनुमति के बिना इंस्टाग्राम पर पोस्ट किए थे। यह मामला अब महिला अधिकारों, निजता और साइबर अपराधों को लेकर समाज में जागरूकता की ज़रूरत को रेखांकित कर रहा है।
क्या कहता है भारतीय कानून?
भारतीय दंड संहिता (IPC) और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम (IT Act) के अंतर्गत बिना अनुमति महिला की तस्वीर या वीडियो लेना और उन्हें शेयर करना गंभीर अपराध माना गया है। इसके लिए सख्त कानूनी प्रावधान हैं:
● IPC धारा 354C (वॉयरिज्म)
जब कोई व्यक्ति किसी महिला की निजी गतिविधियों (जैसे स्नान आदि) को देखता है या उसकी तस्वीर/वीडियो रिकॉर्ड करता है।
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पहली बार अपराध: 1 से 3 साल तक की सजा और जुर्माना
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दूसरी बार अपराध: 3 से 7 साल तक की सजा और जुर्माना
● IT एक्ट धारा 66E
किसी की व्यक्तिगत तस्वीर/वीडियो को बिना अनुमति लेना और इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से शेयर करना।
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सजा: 3 साल तक की जेल, 2 लाख रुपये तक जुर्माना या दोनों
● IT एक्ट धारा 67
अगर कोई व्यक्ति अश्लील सामग्री इलेक्ट्रॉनिक रूप में प्रसारित करता है।
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पहली बार अपराध: 3 साल तक की जेल और 5 लाख रुपये तक जुर्माना
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दूसरी बार अपराध: 5 साल तक की जेल और 10 लाख रुपये तक जुर्माना
● भारतीय संविधान का अनुच्छेद 21
निजता का अधिकार (Right to Privacy) एक मौलिक अधिकार है। बिना सहमति किसी महिला की फोटो या वीडियो पोस्ट करना इस अधिकार का उल्लंघन है।
बेंगलुरु में हुआ मामला
चर्च स्ट्रीट, बेंगलुरु में गुरदीप सिंह नामक युवक को उस समय गिरफ्तार किया गया जब उसने बिना अनुमति कई महिलाओं के वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर साझा किए। एक युवती ने इस संबंध में सोशल मीडिया पर शिकायत की, जिसके आधार पर पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए युवक को हिरासत में लिया।
क्या करें पीड़ित?
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स्थानीय थाने में शिकायत दर्ज करें
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साइबर क्राइम पोर्टल: https://cybercrime.gov.in/
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राष्ट्रीय महिला आयोग: http://ncw.nic.in/
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सोशल मीडिया पर रिपोर्ट करें: संबंधित पोस्ट को रिपोर्ट करके हटवाया जा सकता है।
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विधिक सहायता लें: अगर शिकायत पर कार्रवाई नहीं होती, तो अदालत में याचिका दायर की जा सकती है।
सामाजिक जागरूकता की जरूरत
महिलाओं की निजता और सम्मान की रक्षा सिर्फ कानून का नहीं, बल्कि समाज का भी दायित्व है। ऐसे मामलों में चुप रहने के बजाय आवाज़ उठाना आवश्यक है। बेंगलुरु पुलिस की त्वरित कार्रवाई यह दर्शाती है कि अगर शिकायत समय पर और सही ढंग से दर्ज की जाए, तो न्याय मिलना संभव है।