

गजनेर के 13 साल पुराने हमले में तीन दोषी करार, कोर्ट ने सुनाई सात साल की सजा
बीकानेर के विशिष्ट न्यायाधीश विकास कालेर की अदालत ने गजनेर थाना क्षेत्र के इन्दों का बाला गांव में 13 वर्ष पूर्व हुए जानलेवा हमले के मामले में तीन आरोपियों को दोषी करार देते हुए सात-सात साल के कठोर कारावास और 30 हजार रुपए के अर्थदंड की सजा सुनाई है। एक अन्य आरोपी को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया गया।
क्या था मामला?
यह घटना 30 अगस्त 2012 की रात की है। पीड़ित प्रेमसिंह ने पीबीएम अस्पताल में उपचार के दौरान गजनेर थाने को दिए पर्चा बयान में बताया कि वह अपने साथियों छैलूसिंह और लालसिंह के साथ खेत में गायों की रखवाली कर रात करीब 10:45 बजे लौट रहा था। जब वे गांव के सरकारी स्कूल के पास पहुंचे तो वहां शराब पिए हुए 10-15 लोग मौजूद थे।
प्रेमसिंह के अनुसार, गांव के ही शंकरलाल और श्रवणराम ने रास्ते से गुजरने पर आपत्ति जताते हुए गाली-गलौज की और मुकेश कुमार समेत अन्य के साथ मिलकर कुल्हाड़ी, लाठी और सरिए से हमला कर दिया। इस हमले में प्रेमसिंह घायल हो गया, जबकि छैलूसिंह और लालसिंह को सिर में गंभीर चोटें आईं और वे मौके पर ही बेहोश हो गए।
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कोर्ट का फैसला:
गवाहों और साक्ष्यों के आधार पर कोर्ट ने आरोपियों शंकरलाल, मुकेश कुमार और श्रवण कुमार को दोषी पाया। तीनों को भारतीय दंड संहिता की धाराओं के तहत सात साल के कठोर कारावास और प्रत्येक पर 30,000 रुपये का जुर्माना लगाया गया। जुर्माना अदा न करने की स्थिति में चार महीने का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा।

एक अन्य आरोपी को संदेह का लाभ देकर बरी कर दिया गया है।
क्षतिपूर्ति का आदेश भी दिया
कोर्ट ने कहा कि यदि आरोपी अर्थदंड की राशि जमा कराते हैं और अपील की समयसीमा बीत जाती है, तो उसमें से 60,000 रुपये लालसिंह, 20,000 रुपये छैलूसिंह और 10,000 रुपये प्रेमसिंह को क्षतिपूर्ति के तौर पर दिए जाएंगे।
अभियोजन पक्ष की पैरवी
मामले में अभियोजन पक्ष की ओर से कुल 17 गवाहों के बयान दर्ज किए गए। राज्य की ओर से पैरवी अपर लोक अभियोजक जगदीश कुमार ने की।
इस निर्णय से लंबे समय से न्याय की आस लगाए पीड़ित पक्ष को राहत मिली है और वर्षों पुराने मामले में कानून ने अपना काम किया।