

बीकानेर में पहली बरसात ने खोली सिस्टम की पोल, अमृत योजना पर उठे सवाल
बीकानेर में सोमवार को हुई मानसून की पहली बारिश ने शहर की विकास योजनाओं और प्रशासनिक दावों की हकीकत उजागर कर दी। आधे घंटे की तेज बारिश ने जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया और नगर निगम तथा संबंधित एजेंसियों की लापरवाही को उजागर कर दिया।
समाजसेवी एवं पार्षद प्रतिनिधि आदर्श शर्मा ने कहा कि अमृत 2.0 योजना के अंतर्गत काम कर रही सिविल लाइन कंपनी द्वारा घटिया स्तर का कार्य किया गया है, जिसकी कोई प्रभावी मॉनिटरिंग नगर निगम के अधिकारियों द्वारा नहीं की गई। उन्होंने बताया कि बारिश का पानी ऐतिहासिक स्थलों — जूनागढ़ और सूरसागर तक पहुंच गया, जिससे किसी बड़ी दुर्घटना की आशंका भी बन गई थी।
सड़कें टूटीं, चेंबर ऊंचे छोड़े गए
शर्मा ने आरोप लगाया कि गोगागेट सर्किल से बाजार अंडरब्रिज तक कई स्थानों पर चेंबर सड़क के लेवल से ऊपर छोड़ दिए गए हैं, जिससे सड़क पर जलभराव और दुर्घटना की आशंका बनी हुई है। एक ही बारिश में सड़कों का क्षतिग्रस्त होना यह दर्शाता है कि निर्माण कार्यों की गुणवत्ता कितनी खराब है।
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मॉनिटरिंग की कमी, जनता को करना होगा सतर्क
आदर्श शर्मा ने कहा कि नगर निगम और विकास प्राधिकरण के तकनीकी अधिकारी यदि समय रहते मॉनिटरिंग करते, तो शहर की ये स्थिति नहीं होती। लेकिन अधिकारी कंपनियों के प्रतिनिधियों की तरह कार्य कर रहे हैं, जिससे कंपनियों को खुली छूट मिल गई है।
उन्होंने आमजन से अपील की कि वे इन कार्यों की स्वयं निगरानी करें और जहां कहीं घटिया निर्माण हो रहा हो, वहां विरोध जताएं और संबंधित अधिकारियों को अवगत कराएं।
निष्कर्ष
बीकानेर की पहली बारिश ने यह स्पष्ट कर दिया कि कागजों पर हुए विकास कार्य ज़मीनी सच्चाई से दूर हैं। यदि प्रशासन ने शीघ्र कार्रवाई नहीं की, तो भविष्य में ऐसी लापरवाही गंभीर संकट को जन्म दे सकती है।