

जयपुर।
राजस्थान पुलिस की साइबर क्राइम शाखा ने एक नई साइबर ठगी तकनीक को लेकर चेतावनी जारी की है। ठग अब कॉल फॉरवर्डिंग के जरिए लोगों को निशाना बना रहे हैं, जिससे उनके मोबाइल कॉल्स, ओटीपी और सोशल मीडिया अकाउंट्स तक की जानकारी अपराधियों के हाथ लग रही है।
कैसे होती है कॉल फॉरवर्डिंग से ठगी?
साइबर क्राइम एसपी शांतनु कुमार के अनुसार, ठग सोशल मीडिया से आपकी व्यक्तिगत जानकारी जैसे जन्मदिन, सालगिरह, फोटो आदि जुटाते हैं। इसके बाद वे आपको कॉल या व्हाट्सएप पर संपर्क कर किसी पार्सल डिलीवरी, बैंक वेरिफिकेशन, या इनाम के नाम पर भरोसा जीतते हैं।
इसके बाद वे आपसे एक कोड डायल करने को कहते हैं, जो सामान्यतः **21*फोन नंबर#
के फॉर्मेट में होता है। जैसे ही आप यह कोड डायल करते हैं, आपके मोबाइल की कॉल फॉरवर्डिंग एक्टिवेट हो जाती है, यानी आपके पास आने वाली सभी कॉल ठगों के पास चली जाती हैं।
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इसके बाद क्या होता है?
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ठग आपकी कॉल्स सुन सकते हैं
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ओटीपी को इंटरसेप्ट कर सकते हैं
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WhatsApp/Telegram जैसे ऐप्स को हैक कर सकते हैं
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आपके नाम से परिचितों से पैसे मांग सकते हैं
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सोशल मीडिया अकाउंट का दुरुपयोग कर सकते हैं
कैसे करें बचाव?
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किसी भी अनजान कॉल पर कोड डायल न करें, चाहे वह किसी प्रतिष्ठित कंपनी के नाम पर हो।
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अपने मोबाइल और सोशल मीडिया में 2-फैक्टर ऑथेंटिकेशन (2FA) जरूर चालू करें।
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कभी भी ओटीपी या पासवर्ड किसी के साथ साझा न करें।
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कॉल फॉरवर्डिंग एक्टिव है या नहीं, यह जानने के लिए
*#21#
डायल करें। -
यदि आपको कोई संदिग्ध कॉल या मैसेज मिले, तो https://www.sancharsaathi.gov.in/sfc पर रिपोर्ट करें।
ठगी हो जाए तो क्या करें?
अगर आप इस साइबर ठगी का शिकार हो जाते हैं, तो बिना देरी किए:
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राष्ट्रीय साइबर हेल्पलाइन 1930 पर कॉल करें
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या https://cybercrime.gov.in पर शिकायत दर्ज करें
राजस्थान पुलिस की अपील
राजस्थान पुलिस ने नागरिकों से अपील की है कि वे साइबर सुरक्षा को गंभीरता से लें। एक छोटी सी लापरवाही आपकी गोपनीय जानकारी को खतरे में डाल सकती है। इसलिए किसी भी कोड को डायल करने से पहले पूरी जानकारी लें और पूरी सतर्कता बरतें।