

गृह जिले से तबादले के डर से 117 व्याख्याताओं ने नहीं ली पदोन्नति, शिक्षा विभाग में हलचल
राजस्थान के स्कूल शिक्षा विभाग में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां 117 हिंदी व्याख्याताओं ने डीपीसी 2021-22, 2022-23 और 2023-24 के तहत मिली पदोन्नति को अस्वीकार कर दिया है। इन व्याख्याताओं ने प्रमोशन लेने से इनकार करते हुए मुख्य रूप से गृह जिले से बाहर तबादले और व्यक्तिगत कारणों को जिम्मेदार ठहराया है।
पदोन्नति परित्याग का असर:
अब इन सभी शिक्षकों की सेवा पुस्तिका में लाल स्याही से ‘पदोन्नति परित्याग’ का उल्लेख अनिवार्य रूप से किया जाएगा। माध्यमिक शिक्षा निदेशक सीताराम जाट की ओर से इस संबंध में आदेश जारी कर दिए गए हैं।
आदेश की पृष्ठभूमि:
12 अप्रैल को इन व्याख्याताओं के पदोन्नति आदेश जारी किए गए थे, लेकिन बाद में कई शिक्षकों ने पदोन्नति स्वीकार करने से इनकार करते हुए आवेदन प्रस्तुत किए। विभाग ने इन्हें स्वीकार करते हुए संस्था प्रधानों को निर्देशित किया है कि वे समय पर सेवा पुस्तिका में आवश्यक इंद्राज करें।
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शिक्षक संगठनों की प्रतिक्रिया:
शिक्षक संगठनों ने इस पूरे मामले में स्टाफिंग पैटर्न को पहले लागू करने और उसके बाद पदोन्नति देने की मांग दोहराई है। उनका तर्क है कि स्टाफिंग पैटर्न लागू होने के बाद पदोन्नति की प्रक्रिया होने से शिक्षकों को बार-बार स्थानांतरित नहीं किया जाएगा और शैक्षिक कार्य प्रभावित नहीं होंगे।
क्या कहता है विभाग:
माध्यमिक शिक्षा उपनिदेशक द्वारा इस मामले में सभी संयुक्त निदेशकों और मुख्य जिला शिक्षा अधिकारियों को पत्र जारी किया गया है, ताकि प्रक्रिया को सुचारु रूप से आगे बढ़ाया जा सके।
इस घटनाक्रम ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या विभागीय पदोन्नति नीतियों में स्थानांतरण नीति और स्टाफिंग पैटर्न का संतुलन जरूरी है, ताकि शिक्षक अपनी सेवा में संतुलन और स्थिरता पा सकें।