


राजस्थान में मिड-डे मील योजना में नया नियम, बच्चों को भोजन परोसने से पहले अभिभावक करेंगे स्वाद जांच
टोंक। राजस्थान सरकार ने मिड-डे मील योजना को और अधिक पारदर्शी व सुरक्षित बनाने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। अब राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में पहली से आठवीं कक्षा तक के छात्रों को परोसे जाने वाले मिड-डे मील को पहले उनके अभिभावक चखेंगे, उसके बाद ही बच्चों को भोजन परोसा जाएगा।
स्कूल में अभिभावकों की मौजूदगी अनिवार्य
मिड-डे मील योजना के तहत अब हर स्कूल में प्रतिदिन कम से कम एक अभिभावक और एक स्कूल प्रबंधन समिति (SMC) सदस्य की उपस्थिति अनिवार्य की गई है। ये दोनों मिड-डे मील बनने से लेकर परोसने तक की हर गतिविधि की निगरानी करेंगे और भोजन की गुणवत्ता का मूल्यांकन करेंगे।
सभी अभिभावकों को दी गई है भागीदारी की छूट
मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी नाथूलाल कटारिया के अनुसार, हर अभिभावक को यह अधिकार दिया गया है कि वह स्कूल जाकर तैयार भोजन की गुणवत्ता की जांच कर सकता है, भले ही वह SMC का सदस्य हो या नहीं।
भोजन में किसी प्रकार की कमी मिलने पर उसे रजिस्टर में दर्ज किया जाएगा, जिससे पारदर्शिता बनी रहे और आगे सुधार किया जा सके।
- Advertisement -
उच्चाधिकारियों की टीम करेगी निरीक्षण
राज्य स्तर पर वरिष्ठ अधिकारियों की टीमें समय-समय पर स्कूलों का दौरा कर अभिभावकों की दी गई रिपोर्ट का विश्लेषण करेंगी। इससे यह सुनिश्चित किया जाएगा कि मिड-डे मील योजना सिर्फ दस्तावेजों तक सीमित न रहे, बल्कि इसका जमीनी स्तर पर प्रभावी क्रियान्वयन हो।

स्थानीय निगरानी से बढ़ेगा पारदर्शिता का स्तर
विद्यालय प्रबंधन समिति के अधिकांश सदस्य स्थानीय होते हैं और बच्चों से उनका सीधा जुड़ाव होता है। ऐसे में विद्यालय प्रबन्ध समिति को सक्रिय भूमिका में लाकर भोजन की गुणवत्ता, स्वच्छता और पौष्टिकता सुनिश्चित की जाएगी।
इन रिपोर्ट्स की समीक्षा जिला कलेक्टर की अध्यक्षता में आयोजित बैठकों में की जाएगी।
निष्कर्ष
राजस्थान सरकार द्वारा मिड-डे मील योजना में यह नया निर्णय जनभागीदारी और पारदर्शिता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे न केवल भोजन की गुणवत्ता सुधरेगी, बल्कि बच्चों के स्वास्थ्य की भी बेहतर सुरक्षा हो सकेगी।