


दलाई लामा के उत्तराधिकारी पर भारत-चीन विवाद तेज
तिब्बत के बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा के उत्तराधिकारी के चयन को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है। 89 वर्ष के दलाई लामा 6 जुलाई को 90 वर्ष के हो जाएंगे। उनकी उम्र बढ़ने के साथ ही दुनियाभर के बौद्ध अनुयायियों के मन में यह सवाल उठ रहा है कि उनके बाद कौन 15वें दलाई लामा के रूप में नियुक्त होगा। इस मामले में चीन की दखलंदाजी को लेकर भारत ने सख्त प्रतिक्रिया दी है।
भारत का रुख:
केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि दलाई लामा का पद न केवल तिब्बतियों के लिए, बल्कि सम्पूर्ण विश्व के बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने स्पष्ट किया कि दलाई लामा के उत्तराधिकारी के चयन का अधिकार पूरी तरह दलाई लामा और तिब्बती बौद्ध परंपराओं के हाथ में है और इसमें किसी अन्य देश या सरकार का दखल अस्वीकार्य है।
चीन का बयान:
चीन ने इस मामले में अपनी दखलंदाजी जाहिर करते हुए कहा है कि दलाई लामा के उत्तराधिकारी के चयन के लिए चीन सरकार की मंजूरी आवश्यक होगी। चीन के विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि उनकी केंद्र सरकार की स्वीकृति के बिना किसी भी तरह का चयन वैध नहीं माना जाएगा।
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दलाई लामा की स्थिति:
वर्तमान में 14वें दलाई लामा तेनजिन ग्यात्सो हैं, जिनका पूरा नाम जेत्सुन जम्फेल न्गवांग लोबसांग येशे तेनजिन ग्यात्सो है। उन्होंने कहा है कि उनके उत्तराधिकारी का चयन उनके निधन के बाद तिब्बती बौद्ध परंपराओं के अनुसार किया जाएगा। इसके लिए उन्होंने ‘गादेन फोडंग ट्रस्ट’ को जिम्मेदारी सौंपी है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इस प्रक्रिया में कोई भी व्यक्ति, संगठन या सरकार दखल नहीं दे सकती।
निष्कर्ष:
दलाई लामा के उत्तराधिकारी को लेकर चीन और भारत के बीच विवाद गहरा रहा है, जिससे तिब्बत और बौद्ध समुदाय में यह विषय विशेष ध्यान का केंद्र बना हुआ है। भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि इस पवित्र पद के चयन में किसी बाहरी ताकत का हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।