


हल्की बारिश में भी डूबा बीकानेर, स्मार्ट सिटी के दावे सवालों में
बीकानेर। मंगलवार शाम को बीकानेर में हल्की बारिश हुई, लेकिन इतनी कम बारिश के बावजूद शहर की सड़कें पानी से भर गईं। जगह-जगह पानी जमा हो गया, जिससे राहगीरों और वाहन चालकों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। यह स्थिति एक बार फिर शहर की जल निकासी व्यवस्था की पोल खोलती नजर आई।
सड़कों पर बने गड्ढों में बारिश का पानी भर गया, जिससे कई वाहन फंस गए और दुर्घटना का खतरा भी बढ़ गया। यह स्थिति पहली बार नहीं हुई है। हर बार हल्की या मध्यम बारिश में बीकानेर ऐसे ही हालातों से जूझता है। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि जब इतनी कम बारिश में शहर का यह हाल है, तो अगर तेज बारिश हुई तो क्या हालात होंगे?
स्मार्ट सिटी के दावे और जमीनी हकीकत
सरकार और प्रशासन बीकानेर को स्मार्ट सिटी के तौर पर विकसित करने के दावे तो कर रहे हैं, लेकिन जमीनी हालात आज भी पहले जैसे ही हैं। नगर विकास न्यास (यूआईटी) को भले ही बीडीए (बीकानेर विकास प्राधिकरण) में बदल दिया गया हो, पर विकास कार्यों में कोई ठोस बदलाव नजर नहीं आता।
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प्रदेश के केवल 10 से 12 जिलों को बीडीए श्रेणी में शामिल किया गया है, जिनमें बीकानेर भी शामिल है। बावजूद इसके, यहां की सड़कों, नालियों और मूलभूत सुविधाओं की हालत जस की तस बनी हुई है।

जनप्रतिनिधि और प्रशासन की निष्क्रियता
न तो जनप्रतिनिधि स्थिति सुधारने की गंभीर कोशिश कर रहे हैं और न ही प्रशासन ठोस कार्रवाई करता दिखाई दे रहा है। अधिकारी आते-जाते रहते हैं, सरकारें बदलती हैं, लेकिन बीकानेर की तस्वीर आज भी वैसी की वैसी ही बनी हुई है।
जनता कब तक भुगतेगी?
बीकानेर की जनता हर वर्ष मानसून में इस जलभराव और गड्ढों से होकर गुजरती है। सवाल यही है कि क्या यही है स्मार्ट सिटी की परिभाषा? क्या कभी कोई स्थायी समाधान भी निकलेगा, या हर वर्ष बारिश के साथ ये समस्याएं आम हो जाएंगी?
शहर के लोग अब जागरूक और जवाबदेही की मांग कर रहे हैं। उन्हें केवल घोषणाएं नहीं, धरातल पर बदलाव चाहिए।