


डिजिटल इंडिया के 10 साल: सबसे सस्ते इंटरनेट से लेकर वैश्विक पेमेंट लीडर बनने तक
डिजिटल इंडिया पहल को आज दस साल पूरे हो गए हैं। एक दशक पहले, 1 जुलाई 2015 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस कार्यक्रम की शुरुआत भारत को एक डिजिटल रूप से सशक्त समाज और ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था बनाने के उद्देश्य से की थी। आज, दस साल बाद, डिजिटल इंडिया न केवल सरकारी योजनाओं को जनता तक पहुंचाने का एक प्रमुख माध्यम बना है, बल्कि इसने भारत को वैश्विक डिजिटल मानचित्र पर अग्रणी स्थान भी दिलाया है।
प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट के जरिए इस यात्रा को याद करते हुए लिखा कि डिजिटल इंडिया के कारण करोड़ों लोगों को सशक्त किया गया है और यह पहल स्वास्थ्य, शिक्षा, फाइनेंस जैसे क्षेत्रों में बदलाव लेकर आई है।
1. भारत में सबसे सस्ता इंटरनेट
भारत में आज इंटरनेट सबसे सस्ता है। यहां 1 जीबी डेटा की कीमत औसतन 10 रुपये या उससे भी कम है। इसकी तुलना में चीन में यही डेटा करीब 32 रुपये, दक्षिण अफ्रीका में 151 रुपये, जर्मनी में 183 रुपये, कनाडा में 459 रुपये और अमेरिका में 513 रुपये प्रति जीबी तक है। सस्ते डेटा ने देश में डिजिटल समावेशन को व्यापक रूप से बढ़ावा दिया है।
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2. 5जी कवरेज में भारत सबसे आगे
भारत में 5जी नेटवर्क का रोलआउट दुनिया के सबसे तेज़ रोलआउट्स में से एक है। आज देश की 95% आबादी 5जी कवरेज के दायरे में है। यूरोप, लैटिन अमेरिका और अफ्रीका जैसे क्षेत्र भारत से पीछे हैं। तेज नेटवर्क और बढ़ती इंटरनेट पहुंच ने ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में डिजिटल सेवाओं की गति बढ़ाई है।

3. डिजिटल पेमेंट्स में विश्व नेतृत्व
आज भारत दुनिया के लगभग आधे रियल टाइम डिजिटल पेमेंट्स का केंद्र बन चुका है। हर महीने अरबों लेन-देन Unified Payments Interface (UPI) के जरिए हो रहे हैं। छोटे व्यापारियों से लेकर आम उपभोक्ताओं तक, डिजिटल भुगतान अब जीवन का हिस्सा बन चुका है।
4. 78 करोड़ आयुष्मान भारत हेल्थ अकाउंट
भारत ने डिजिटल हेल्थ सेक्टर में भी बड़ी छलांग लगाई है। अब तक 78 करोड़ से ज्यादा आयुष्मान भारत हेल्थ अकाउंट (ABHA) बनाए जा चुके हैं। यह आंकड़ा कई विकसित देशों की कुल जनसंख्या से भी अधिक है। इससे स्वास्थ्य सेवाओं में पारदर्शिता, ट्रैकिंग और इन्फॉर्मेशन शेयरिंग को नई दिशा मिली है।
निष्कर्ष:
डिजिटल इंडिया ने बीते दस वर्षों में देश के इंफ्रास्ट्रक्चर, सेवा वितरण और नागरिक सशक्तिकरण के स्तर पर बड़ा बदलाव किया है। आने वाले वर्षों में यह पहल भारत को डिजिटल अर्थव्यवस्था में वैश्विक नेता बनाने की दिशा में और मजबूती से आगे बढ़ रही है।