


जयपुर:
डिजिटल युग में साइबर ठग लगातार नए तरीकों से लोगों को फर्जी मैसेज के जरिए ठगने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसे में अब TRAI (भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण) ने उपभोक्ताओं की सुरक्षा के लिए कोड सिस्टम लागू किया है। इस व्यवस्था के तहत अब आप केवल SMS के अंतिम अक्षर को देखकर ही अंदाजा लगा सकते हैं कि वह मैसेज वैध है या फर्जी।
TRAI कोड सिस्टम क्या है?
यह प्रणाली Telecom Commercial Communication Customer Preference Regulation (TCCCPR), 2018 के तहत लागू की गई है। हर वैध मैसेज के अंत में एक कोड अक्षर होता है जो उसके स्रोत और उद्देश्य को दर्शाता है।
कोड के प्रकार और उनका अर्थ:
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(G): सरकारी विभाग या संस्था द्वारा भेजा गया मैसेज
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(S): सेवा से जुड़ा मैसेज (जैसे बिल भुगतान, खाता अपडेट)
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(T): ट्रांजैक्शनल मैसेज (जैसे OTP, भुगतान पुष्टि)
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(P): प्रमोशनल मैसेज (जैसे ऑफर, विज्ञापन)
बिना कोड वाला मैसेज = खतरे का संकेत
अगर किसी मैसेज के अंत में ये कोड न हों, तो वह संभावित फर्जी या स्कैम मैसेज हो सकता है। स्कैमर्स TRAI की डिस्ट्रीब्यूटेड लेजर टेक्नोलॉजी (DLT) प्रणाली पर रजिस्टर्ड नहीं होते, इसलिए उनके मैसेज कोड रहित होते हैं।
साइबर ठगी से कैसे बचें?
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अनजान लिंक से बचें: फर्जी SMS में मौजूद लिंक पर क्लिक न करें, वे फिशिंग वेबसाइट पर ले जा सकते हैं।
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भाषा की जांच करें: गलत वर्तनी, अजीब वाक्य या संदिग्ध भाषा वाले मैसेज पर भरोसा न करें।
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स्रोत की पुष्टि करें: बैंक या किसी संस्था के दावे पर भरोसा करने से पहले उनकी आधिकारिक वेबसाइट/कॉल सेंटर से संपर्क करें।
जरूरी सुरक्षा टिप्स:
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अपने सभी डिजिटल अकाउंट में टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन चालू रखें।
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संदिग्ध मैसेज मिलने पर 1930 पर तुरंत रिपोर्ट करें।
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1909 पर फर्जी मैसेज की शिकायत करें या TRAI के DND ऐप का उपयोग करें।
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cybercrime.gov.in पर शिकायत दर्ज करें या नजदीकी पुलिस थाने से संपर्क करें।
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मैसेज भेजने वाले अनजान नंबर को ब्लॉक करें।
निष्कर्ष:
TRAI का यह कोड सिस्टम आम उपभोक्ताओं को फर्जी मैसेज की पहचान करने में सशक्त बनाएगा। अब केवल एक अक्षर से तय हो सकेगा कि आपके पास जो SMS आया है, वह वैध है या नहीं। सतर्क रहें, जागरूक रहें और खुद को साइबर ठगों से बचाएं।