


नई दिल्ली/अहमदाबाद:
दिल्ली में आम आदमी पार्टी (AAP) को बड़ी राजनीतिक और प्रशासनिक चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। राजधानी की 24 स्वास्थ्य परियोजनाओं में भारी भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के आरोप में AAP नेताओं सौरभ भारद्वाज और सत्येंद्र जैन के खिलाफ एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) ने मामला दर्ज कर लिया है।
वहीं दूसरी ओर, गुजरात में पार्टी ने बोटाद से विधायक उमेश मकवाना को पार्टी विरोधी गतिविधियों के चलते पांच साल के लिए निलंबित कर दिया है।
दिल्ली का मामला: स्वास्थ्य परियोजनाओं में करोड़ों का घोटाला
दिल्ली में साल 2018-19 में 5,590 करोड़ रुपये की लागत से प्रस्तावित 24 स्वास्थ्य परियोजनाओं में से कई में अकारण देरी, लागत में दो गुना तक बढ़ोतरी और निर्माण मानकों के उल्लंघन की बात सामने आई है।
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ACB सूत्रों के अनुसार, शिकायत भाजपा विधायक विजेंद्र गुप्ता ने अगस्त 2024 में विधानसभा में दी थी। इसके बाद ACB ने धारा 17A के तहत जरूरी मंजूरी लेकर जांच शुरू की।
जांच में सामने आए गंभीर तथ्य
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1125 करोड़ रुपये की लागत वाले ICU अस्पताल प्रोजेक्ट में सिर्फ 50% काम पूरा, जबकि 800 करोड़ खर्च हो चुके
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ज्वालापुरी और मादीपुर अस्पतालों में बिना मंजूरी अतिरिक्त निर्माण
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LNJP अस्पताल की लागत 488 करोड़ से बढ़कर 1135 करोड़, निर्माण अधूरा
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94 में से सिर्फ 52 मोहल्ला क्लीनिक तैयार, बाकी बंद या अधूरे
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HIMS प्रोजेक्ट को लागू नहीं किया गया, जबकि केंद्र की e-Hospital सेवा मुफ्त थी
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निर्माण कार्यों में ठेकेदारों से मिलीभगत और बजट हेरफेर के आरोप
इन सभी बिंदुओं पर कार्रवाई करते हुए ACB ने AAP के पूर्व स्वास्थ्य मंत्रियों पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया है।
गुजरात में झटका: उमेश मकवाना निलंबित
गुजरात के बोटाद विधानसभा क्षेत्र से विधायक उमेश मकवाना ने अचानक पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने खुद को “सिर्फ एक कार्यकर्ता” बताया, लेकिन AAP ने उनके इस कदम को अनुशासनहीनता मानते हुए उन्हें 5 वर्षों के लिए पार्टी से निलंबित कर दिया।
पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष ईशुदान गढ़वी ने सोशल मीडिया पर इस कार्रवाई की जानकारी देते हुए कहा कि मकवाना पार्टी विरोधी और गुजरात विरोधी गतिविधियों में लिप्त पाए गए हैं।
राजनीतिक असर
दिल्ली में स्वास्थ्य घोटाले की जांच और गुजरात में विधायक की बगावत ऐसे समय पर सामने आई है जब AAP आने वाले महीनों में गुजरात और पंजाब में चुनावी तैयारियों में जुटी है। दोनों घटनाएं पार्टी के संगठनात्मक ढांचे और नेतृत्व के लिए गंभीर चुनौती बन सकती हैं।