


ईरान-इजराइल तनाव के बीच भारत में तेल संकट की आशंका, पेट्रोल 120 रुपये तक पहुंच सकता है
ईरान और इजराइल के बीच जारी संघर्ष ने वैश्विक चिंता को गहरा कर दिया है। इस संघर्ष में अमेरिका की सक्रियता के बाद हालात धीरे-धीरे विश्वयुद्ध जैसी स्थिति की ओर बढ़ते दिखाई दे रहे हैं। इस बढ़ते तनाव का असर वैश्विक अर्थव्यवस्था और विशेषकर पेट्रोलियम पदार्थों की आपूर्ति पर स्पष्ट नजर आने लगा है।
विशेष रूप से तेल व्यापार का मुख्य मार्ग माने जाने वाले ‘स्ट्रेट ऑफ होर्मुज’ को लेकर चिंता और बढ़ गई है। हाल ही में ईरानी संसद ने अमेरिकी हवाई हमलों के जवाब में इस संकीर्ण जलमार्ग को बंद करने का प्रस्ताव पारित किया है। यदि यह मार्ग बंद होता है, तो कच्चे तेल की वैश्विक आपूर्ति पर बड़ा प्रभाव पड़ सकता है।
क्या है स्ट्रेट ऑफ होर्मुज और क्यों है महत्वपूर्ण?
स्ट्रेट ऑफ होर्मुज फारस की खाड़ी को ओमान की खाड़ी और अरब सागर से जोड़ने वाला महज 33 किलोमीटर चौड़ा समुद्री मार्ग है। लेकिन इसके माध्यम से दुनिया का लगभग 20-25 प्रतिशत कच्चा तेल और 25 प्रतिशत प्राकृतिक गैस का निर्यात होता है।
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भारत पर क्या होगा असर?
भारत अपनी कुल तेल जरूरतों का लगभग 80 प्रतिशत हिस्सा आयात करता है, जिसमें से करीब 40 प्रतिशत से अधिक तेल स्ट्रेट ऑफ होर्मुज के माध्यम से आता है। ऐसे में यदि यह मार्ग बाधित होता है, तो भारत में पेट्रोल और डीजल की आपूर्ति पर सीधा असर पड़ेगा।

तेल कीमतें कितनी बढ़ सकती हैं?
तेल विशेषज्ञों का मानना है कि मौजूदा हालात बने रहते हैं तो ब्रेंट क्रूड की कीमतें जो अभी 80 डॉलर प्रति बैरल के आसपास हैं, वे 120 से 150 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकती हैं। इससे पेट्रोल और डीजल की कीमतें भारत में 30 से 50 प्रतिशत तक बढ़ सकती हैं। अनुमान है कि पेट्रोल की कीमतें 120 रुपये प्रति लीटर या उससे ऊपर जा सकती हैं।
क्या है सरकार की तैयारी?
हालांकि भारत सरकार और तेल कंपनियां स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं, लेकिन अगर यह संकट लंबे समय तक खिंचता है तो घरेलू स्तर पर तेल मूल्य वृद्धि को रोकना मुश्किल हो सकता है। इससे आम जनता पर सीधा आर्थिक भार बढ़ेगा।
निष्कर्ष:
ईरान-इजराइल संघर्ष से उत्पन्न भू-राजनीतिक तनाव अब केवल सैन्य स्तर तक सीमित नहीं रहा, बल्कि वैश्विक ऊर्जा सुरक्षा और अर्थव्यवस्था पर गंभीर असर डाल सकता है। भारत जैसे बड़े आयातक देशों को इसके लिए पहले से रणनीतिक तैयारी की आवश्यकता है, ताकि आम उपभोक्ता को झटका कम लगे।