


ईरान-इस्राइल संघर्ष में बढ़ा तनाव, अमेरिका ने मारे परमाणु ठिकानों पर हमले, पीएम मोदी ने की शांति की अपील
पश्चिम एशिया में ईरान और इस्राइल के बीच जारी टकराव ने दूसरे सप्ताह में और गंभीर रूप ले लिया है। ईरान द्वारा इस्राइल पर मिसाइल हमलों के बाद इस्राइली सेना IDF ने पलटवार करते हुए कई ठिकानों को निशाना बनाया है। इस संघर्ष में अब अमेरिका की सीधी सैन्य भागीदारी भी सामने आ गई है।
अमेरिका ने किए ईरान के तीन परमाणु ठिकानों पर हमले
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने घोषणा की है कि अमेरिकी सेना ने ईरान के तीन परमाणु केंद्रों पर हमले किए हैं और उन्हें सफल बताया है। ट्रंप ने इस सैन्य कार्रवाई को “ऐतिहासिक क्षण” बताया है और कहा है कि यह अमेरिका की सुरक्षा और वैश्विक स्थिरता के लिए जरूरी कदम था।
ईरान का जवाबी हमला
ईरान ने इस्राइल के कई रणनीतिक ठिकानों पर मिसाइलें दागीं, जिससे दोनों देशों के बीच स्थिति और भड़क गई है। इस्राइल ने साफ किया है कि वह लंबे सैन्य अभियान के लिए तैयार है और किसी भी हाल में पीछे हटने का इरादा नहीं रखता।
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PM मोदी ने की ईरानी राष्ट्रपति से बातचीत
स्थिति की गंभीरता को देखते हुए भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन से टेलीफोन पर बातचीत की। पीएम मोदी ने बातचीत को लेकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर पोस्ट करते हुए बताया कि उन्होंने क्षेत्र में तेज होते तनाव पर चिंता व्यक्त की और संवाद और कूटनीति के माध्यम से स्थिति को नियंत्रित करने की आवश्यकता पर बल दिया।
उन्होंने कहा, “हमने मौजूदा हालात पर विस्तार से चर्चा की। हाल ही में बढ़े तनाव पर गहरी चिंता व्यक्त की। आगे बढ़ने के लिए तुरंत तनाव कम करने, संवाद और कूटनीति की राह अपनाने की जरूरत है।”

शांति वार्ता विफल
इस संघर्ष को रोकने के लिए स्विट्जरलैंड के जिनेवा में ईरान और यूरोपीय देशों के बीच बातचीत हुई, लेकिन कोई ठोस समाधान नहीं निकल पाया। कूटनीतिक कोशिशों के विफल होने से यह संकट और गंभीर हो गया है।
Spoke with President of Iran @drpezeshkian. We discussed in detail about the current situation. Expressed deep concern at the recent escalations. Reiterated our call for immediate de-escalation, dialogue and diplomacy as the way forward and for early restoration of regional…
— Narendra Modi (@narendramodi) June 22, 2025
निष्कर्ष
ईरान-इस्राइल संघर्ष अब सिर्फ क्षेत्रीय संकट नहीं रहा, बल्कि इसमें वैश्विक शक्तियों की सक्रिय भागीदारी भी शुरू हो चुकी है। भारत की भूमिका एक बार फिर शांति और संतुलन की अपील करने वाले राष्ट्र के रूप में सामने आई है। अब यह देखना अहम होगा कि क्या आगे कूटनीति इस युद्ध को रोक सकेगी या हालात और बिगड़ेंगे।