


एअर इंडिया हादसे के बाद DGCA का बड़ा एक्शन, तीन वरिष्ठ अधिकारी हटाए गए
अहमदाबाद विमान हादसे के एक सप्ताह बाद नागरिक विमानन महानिदेशालय (DGCA) ने एअर इंडिया के तीन वरिष्ठ अधिकारियों को चालक दल (क्रू) की शेड्यूलिंग और रोस्टरिंग से संबंधित सभी जिम्मेदारियों से हटाने के निर्देश दिए हैं। इनमें एक डिवीजनल वाइस प्रेसिडेंट भी शामिल है। DGCA ने एयरलाइन को आदेश दिया है कि इन अधिकारियों के खिलाफ तत्काल अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए और 10 दिन में रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए।
क्रू शेड्यूलिंग में गंभीर लापरवाही का आरोप
DGCA ने जांच में पाया कि एअर इंडिया ने क्रू की शेड्यूलिंग और उड़ानों की योजना में लापरवाही बरती। ARMS (एयर रूट मैनेजमेंट सिस्टम) और CAE प्रणाली की समीक्षा के बाद सामने आया कि लाइसेंसिंग, आराम और नवीनता मानदंडों की अनदेखी की गई। इसके बावजूद एयरलाइन ने संबंधित अधिकारियों पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की।
डीजीसीए ने दी सख्त चेतावनी
DGCA ने कहा कि यदि भविष्य में भी चालक दल की समय-सारणी में लापरवाही बरती गई तो एअर इंडिया के लाइसेंस निलंबन और ऑपरेशनल प्रतिबंध जैसी कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
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एकाउंटेबल मैनेजर को कारण बताओ नोटिस
DGCA ने एयर इंडिया के एकाउंटेबल मैनेजर को नोटिस जारी करते हुए पूछा है कि 16 और 17 मई को बेंगलुरु से लंदन जाने वाली उड़ानों में निर्धारित समय से अधिक उड़ान क्यों की गई। ये उड़ानें 10 घंटे से अधिक समय तक चलीं, जो नियमों के खिलाफ है। उन्हें 7 दिन में जवाब देने को कहा गया है।

एयर इंडिया ने कार्रवाई स्वीकार की
DGCA के निर्देश के बाद एअर इंडिया ने कहा है कि आदेश को लागू कर दिया गया है। अब कंपनी के मुख्य परिचालन अधिकारी आईओसीसी (इंटीग्रेटेड ऑपरेशनल कंट्रोल सेंटर) की निगरानी करेंगे। एयर इंडिया ने यह भी कहा कि वह सुरक्षा मानकों और प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन करने के लिए प्रतिबद्ध है।
अहमदाबाद हादसे में गई थीं 270 जानें
12 जून को लंदन जा रहा एअर इंडिया का विमान AI-171 अहमदाबाद में एक मेडिकल कॉलेज परिसर में दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। हादसे में विमान में सवार 242 यात्रियों में से 241 की मौत हो गई थी। इसके अलावा जमीन पर मौजूद 29 लोग भी मारे गए थे।
अब तक 215 मृतकों की पहचान डीएनए मिलान के जरिए की जा चुकी है, जिनमें से 198 शव परिजनों को सौंपे जा चुके हैं। इनमें 149 भारतीय, 32 ब्रिटिश, 7 पुर्तगाली और 1 कनाडाई नागरिक शामिल हैं।
यह हादसा भारत के नागरिक विमानन इतिहास की सबसे बड़ी त्रासदियों में से एक बन गया है, जिससे अब एयरलाइन संचालन और सुरक्षा मानकों पर नए सिरे से सवाल खड़े हो गए हैं।