


राजस्थान में बैटरी स्टोरेज से सस्ती बिजली का रास्ता साफ
राजस्थान में बिजली संकट से निपटने और उपभोक्ताओं को सस्ती बिजली उपलब्ध कराने की दिशा में बड़ा कदम उठाया गया है। राज्य सरकार के बैटरी ऊर्जा भंडारण परियोजना को राजस्थान विद्युत विनियामक आयोग (RERC) की मंजूरी मिल गई है। इस परियोजना के तहत 1000 मेगावाट-ऑवर की स्टैंडअलोन बैटरी एनर्जी स्टोरेज प्रणाली स्थापित की जाएगी।
देश में सबसे कम टैरिफ दर:
RERC द्वारा निर्धारित टैरिफ दर 2.21 लाख से 2.24 लाख रुपये प्रति मेगावाट प्रति माह तय की गई है, जो देश में अब तक की सबसे कम दर मानी जा रही है। यह परियोजना 12 वर्षों के लिए लागू रहेगी और इसके तहत अनुबंधित कंपनियों को कुल 1861 करोड़ रुपये का भुगतान किया जाएगा। इसमें से 1591 करोड़ रुपये राज्य विद्युत प्रसारण निगम वहन करेगा, जबकि शेष 270 करोड़ रुपये केंद्र सरकार द्वारा प्रदान किए जाएंगे।
365 करोड़ रुपये की संभावित वार्षिक बचत:
बैटरी स्टोरेज सिस्टम का उपयोग पीक ऑवर्स (जब बिजली की मांग अधिक होती है) में किया जाएगा, जिससे एक्सचेंज से महंगी बिजली खरीदने की आवश्यकता कम हो जाएगी। इससे अनुमानित तौर पर राज्य को हर साल करीब 365 करोड़ रुपये की बचत हो सकती है।
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राजस्थान को मिलेगा ऊर्जा क्षेत्र में नया मुकाम:
राज्य विद्युत निगम के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक देवेन्द्र शृंगी ने बताया कि सरकार ने वर्ष 2028-29 तक 18.5 गीगावाट-ऑवर बैटरी एनर्जी स्टोरेज क्षमता विकसित करने का लक्ष्य रखा है। इससे राज्य देश में बैटरी स्टोरेज हब बनने की दिशा में अग्रसर है।
वित्तीय सहयोग और आगामी निवेश:
ऊर्जा मंत्रालय द्वारा प्रति मेगावाट-ऑवर 27 लाख रुपये की वायबिलिटी गैप फंडिंग दी जाएगी। इसके अलावा एनटीपीसी के माध्यम से 1000 मेगावाट की बैटरी स्टोरेज परियोजना के लिए भी निविदा जारी की गई है। इस पूरी योजना के तहत राज्य में लगभग 2000 करोड़ रुपये का निवेश आने की संभावना है।
ऊर्जा मंत्री हीरालाल नागर ने कहा कि यह पहल राज्य की ऊर्जा सुरक्षा और आर्थिक सशक्तिकरण की दिशा में मील का पत्थर साबित होगी।