


नई दिल्ली:
भारत और कनाडा के बीच हाल ही में आतंकवाद और सीमा पार अपराधों के खिलाफ सहयोग को लेकर एक महत्वपूर्ण समझौता हुआ है। इस डील के तहत दोनों देश एक-दूसरे से खुफिया जानकारी साझा करेंगे और आपसी समन्वय के साथ कार्य करेंगे।
पिछले कुछ वर्षों में भारत और कनाडा के संबंधों में तनाव रहा है, विशेष रूप से खालिस्तान से जुड़े मुद्दों पर। लेकिन कनाडा में मार्क कार्नी के नए प्रधानमंत्री बनने के बाद रिश्तों में सुधार की उम्मीदें जताई जा रही हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कार्नी को उनकी जीत पर बधाई दी थी, और वे 15 से 17 जून के बीच कनाडा में आयोजित होने वाले G7 शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए आमंत्रित भी किए गए हैं।
डील का मुख्य उद्देश्य और कामकाज का तरीका
नई डील के अनुसार, भारत और कनाडा की कानून प्रवर्तन और खुफिया एजेंसियां आतंकवाद, उग्रवाद, अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक सिंडिकेट और अन्य संगठित अपराधों पर सूचनाओं का आदान-प्रदान करेंगी। इस सहयोग का उद्देश्य वैश्विक सुरक्षा के खतरे को कम करना है।
इस समझौते में न्यायेतर हत्याओं की जांच और संबंधित खतरों की निगरानी को लेकर भी विशेष ध्यान दिया गया है। डील का ढांचा इस तरह तैयार किया गया है कि दोनों देशों के उच्च-स्तरीय सुरक्षा अधिकारी इसमें शामिल होकर रणनीतिक समन्वय बनाए रखें।
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सुरक्षा साझेदारी में नया अध्याय
इस समझौते को भारत और कनाडा के बीच पहले हुए प्रयासों की तुलना में अधिक गहन और रणनीतिक माना जा रहा है। दोनों देशों की ओर से इस समझौते को लेकर आधिकारिक घोषणा शीघ्र की जा सकती है।
यह डील न केवल आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक लड़ाई को मजबूती देगी, बल्कि भारत-कनाडा के द्विपक्षीय संबंधों में भी नया विश्वास कायम करने में सहायक होगी। आने वाले समय में इस सहयोग में साइबर सुरक्षा, कट्टरपंथ से निपटने और सीमा पार अपराधों पर कार्रवाई जैसे कई पहलुओं को भी जोड़े जाने की संभावना है।