


8वें वेतन आयोग में फिटमेंट फैक्टर को लेकर बढ़ी उम्मीदें, जानिए क्या हो सकता है नया बेसिक वेतन
केंद्रीय कर्मचारियों के बीच 8वें वेतन आयोग को लेकर चर्चा तेज हो गई है, खासतौर पर फिटमेंट फैक्टर को लेकर। इसी के आधार पर बेसिक सैलरी तय होती है। 2016 में जब 7वां वेतन आयोग लागू हुआ था, तब फिटमेंट फैक्टर 2.57 रखा गया था। इसी के चलते न्यूनतम बेसिक सैलरी 7000 रुपये से बढ़कर 18000 रुपये प्रति माह हुई थी।
क्या हो सकता है 8वें वेतन आयोग में फिटमेंट फैक्टर?
वेतन आयोग से जुड़े विशेषज्ञों का मानना है कि 8वें वेतन आयोग में भी सैलरी की गणना फिटमेंट फैक्टर के आधार पर ही की जाएगी। TeamLease के उपाध्यक्ष कृष्णेंदु चटर्जी के अनुसार, फिटमेंट फैक्टर 2.5 से 2.86 के बीच रह सकता है। अगर इसे 2.86 मान लिया जाए, तो न्यूनतम बेसिक सैलरी 51000 रुपये प्रति माह तक पहुंच सकती है। हालांकि इतनी बढ़ोतरी सरकार के लिए आर्थिक रूप से चुनौतीपूर्ण हो सकती है।
इस लिहाज से 2.6 से 2.7 के बीच फिटमेंट फैक्टर को ज्यादा व्यावहारिक माना जा रहा है। इससे कर्मचारियों को राहत भी मिलेगी और सरकारी खजाने पर अत्यधिक बोझ भी नहीं पड़ेगा।
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इतिहास क्या कहता है?
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6वें वेतन आयोग में फिटमेंट फैक्टर 1.86 था, जिससे न्यूनतम बेसिक सैलरी 2750 रुपये से बढ़कर 7000 रुपये हुई।
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7वें वेतन आयोग में फिटमेंट फैक्टर 2.57 रखा गया और बेसिक सैलरी बढ़कर 18000 रुपये हो गई।
कर्मचारियों की मांग
राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के महामंत्री आरके निगम का कहना है कि महंगाई की दर को ध्यान में रखते हुए फिटमेंट फैक्टर तय होना चाहिए। अगर महंगाई भत्ते को बेसिक सैलरी में मर्ज किया जाता है, तो फिटमेंट फैक्टर में बढ़ोतरी और भी जरूरी हो जाती है।