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देश-दुनिया

हेट स्पीच मामले में अब न्यायाधीश पर महाभियोग की तैयारी?

editor
editor Published June 10, 2025
Last updated: 2025/06/10 at 12:26 PM
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हेट स्पीच मामले में अब न्यायाधीश पर महाभियोग की तैयारी?

Contents
विपक्ष की पहल और प्रक्रियाविपक्ष का पक्षन्यायपालिका और संविधान पर सवाल

इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश शेखर कुमार यादव के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पर राज्यसभा में प्रक्रिया आगे बढ़ती दिखाई दे रही है। राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ इस मामले में जल्द ही एक जांच समिति का गठन कर सकते हैं, जो न्यायाधीश पर लगे कथित नफरत भरे भाषण के आरोपों की जांच करेगी।

यह प्रस्ताव दिसंबर 2023 में विश्व हिंदू परिषद (VHP) के एक सार्वजनिक कार्यक्रम में न्यायमूर्ति यादव द्वारा दिए गए बयान के बाद लाया गया था। अपने भाषण में उन्होंने कथित रूप से कहा था कि “यह हिंदुस्तान है और देश बहुसंख्यकों के हिसाब से चलेगा।” इस बयान को लेकर व्यापक प्रतिक्रिया सामने आई थी और इसे भारतीय संविधान की मूल भावना के खिलाफ माना गया।

विपक्ष की पहल और प्रक्रिया

महाभियोग की प्रक्रिया शुरू करने के लिए राज्यसभा में कम से कम 50 और लोकसभा में 100 सांसदों का समर्थन जरूरी होता है। इस मामले में विपक्ष के 55 राज्यसभा सांसदों ने छह महीने पहले सभापति को महाभियोग प्रस्ताव का ज्ञापन सौंपा था।

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इसके बाद सभापति कार्यालय की ओर से सांसदों को दो बार ईमेल भेजे गए, जिनमें उनके हस्ताक्षरों की पुष्टि करने को कहा गया। 21 मार्च को राज्यसभा में बोलते हुए सभापति धनखड़ ने बताया कि 55 में से एक हस्ताक्षर दो बार मिला, और संबंधित सांसद ने स्पष्ट किया कि वह उनके हस्ताक्षर नहीं थे।

विपक्ष का पक्ष

विपक्ष ने इस गलती को एक तकनीकी त्रुटि बताया है। उनका कहना है कि प्रस्ताव तैयार करते समय तीन अलग-अलग सेट बनाए गए थे, जिनमें से एक पर यह गलती हो गई। लेकिन विपक्ष का यह भी कहना है कि एक हस्ताक्षर अमान्य हो भी जाए, तो भी कुल मान्य संख्या 50 बनी रहती है, इसलिए प्रस्ताव वैध है और आगे बढ़ाया जाना चाहिए।

न्यायपालिका और संविधान पर सवाल

यह मामला न सिर्फ एक न्यायाधीश के आचरण से जुड़ा है, बल्कि न्यायपालिका की निष्पक्षता और संविधान के मूल सिद्धांतों की रक्षा से भी जुड़ा हुआ है। अगर सभापति को यह प्रस्ताव पर्याप्त और गंभीर लगता है, तो वे न्यायाधीश जांच अधिनियम के तहत एक जांच समिति का गठन कर सकते हैं। यह समिति अपनी रिपोर्ट संसद को सौंपेगी, जिसके आधार पर निर्णय लिया जाएगा कि महाभियोग की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जाए या नहीं।

यह मामला केवल एक व्यक्ति विशेष तक सीमित नहीं है, बल्कि यह भारतीय लोकतंत्र की न्यायिक संरचना की गरिमा और जिम्मेदारी से भी गहराई से जुड़ा है।


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editor June 10, 2025
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