


GST नियमों में बड़ा बदलाव: 1 जुलाई से तीन साल पुराने रिटर्न नहीं होंगे स्वीकार
गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST) रिटर्न भरने के नियमों में 1 जुलाई 2025 से एक बड़ा बदलाव लागू होने जा रहा है। अब करदाता तीन साल से पुराने जीएसटी रिटर्न दाखिल नहीं कर पाएंगे। यह संशोधन वित्त अधिनियम, 2023 के तहत किया गया है। सरकार का उद्देश्य टैक्स सिस्टम को अधिक अनुशासित, पारदर्शी और समयबद्ध बनाना है।
किन रिटर्न फॉर्म्स पर लागू होगा नया नियम?
यह नियम कई प्रमुख जीएसटी रिटर्न फॉर्म्स पर प्रभाव डालेगा, जिनमें शामिल हैं:
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GSTR-1 (बिक्री विवरण)
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GSTR-3B (मासिक टैक्स भुगतान)
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GSTR-4 (कंपोजीशन डीलर के लिए)
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GSTR-5 और GSTR-5A (नॉन-रेजिडेंट टैक्सपेयर्स के लिए)
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GSTR-6 (इनपुट सर्विस डिस्ट्रीब्यूटर)
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GSTR-7 (टीडीएस विवरण)
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GSTR-8 (ई-कॉमर्स ऑपरेटर द्वारा टैक्स संग्रह)
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GSTR-9 (सालाना रिटर्न)
सरकार का मकसद क्या है?
सरकार चाहती है कि टैक्सपेयर्स समय पर रिटर्न दाखिल करें ताकि पुराने पेंडिंग क्लेम्स, इनवैलिड इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC), और टैक्स चोरी पर रोक लगाई जा सके। यह कदम कर प्रणाली को अधिक प्रभावी और विश्वसनीय बनाने की दिशा में उठाया गया है।
GSTN की चेतावनी:
जीएसटी नेटवर्क (GSTN) ने सभी करदाताओं को सलाह दी है कि वे 30 जून 2025 से पहले अपने सभी लंबित रिटर्न भर दें। इसके बाद, तीन साल से पुराने रिटर्न को पोर्टल पर दाखिल करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
विशेषज्ञों की राय और चिंताएं:
हालांकि, टैक्स विशेषज्ञों और छोटे व्यापारियों ने इस बदलाव को लेकर चिंता जताई है। एएमआरजी एसोसिएट्स के सीनियर पार्टनर रजत मोहन ने कहा, “यह नियम सिस्टम को सुव्यवस्थित करेगा, लेकिन कानूनी विवाद, तकनीकी गड़बड़ियों या मानवीय भूल के चलते जो रिटर्न अब तक दाखिल नहीं हो पाए, उनके लिए यह फैसला आर्थिक नुकसान का कारण बन सकता है।”
उन्होंने यह भी बताया कि कई मामलों में करदाता वैध ITC का दावा नहीं कर पाएंगे क्योंकि उनकी फाइलिंग की वैधता खत्म हो जाएगी और उनके पास रिलीफ की कोई स्पष्ट प्रक्रिया उपलब्ध नहीं होगी।
निष्कर्ष:
1 जुलाई 2025 से लागू होने वाले इस नियम के बाद करदाताओं के लिए यह आवश्यक हो जाएगा कि वे समयबद्ध तरीके से अपने GST रिटर्न दाखिल करें। देरी अब सीधे तौर पर इनपुट टैक्स क्रेडिट और टैक्स कम्प्लायंस पर असर डालेगी।
सरकार से उम्मीद की जा रही है कि वह ऐसे मामलों के लिए अपील या रिलीफ की कोई व्यवस्था स्पष्ट करे, ताकि निर्दोष करदाताओं को अनावश्यक नुकसान से बचाया जा सके।