


बीजेपी अध्यक्ष पद के लिए तीन बड़े नामों पर चर्चा तेज
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष को लेकर सियासी हलचल तेज हो गई है। सूत्रों के मुताबिक, जून के मध्य तक अध्यक्ष पद के लिए प्रक्रिया शुरू हो सकती है। हालांकि पार्टी की ओर से अभी तक कोई औपचारिक घोषणा नहीं की गई है, लेकिन अंदरखाने मंथन चल रहा है। हाल ही में उत्तर प्रदेश में 70 नए ज़िला अध्यक्षों की घोषणा के बाद यह माना जा रहा है कि अब राष्ट्रीय अध्यक्ष के चयन की ओर कदम बढ़ाए जाएंगे।
अध्यक्ष चयन में देरी का कारण
बताया जा रहा है कि जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के कारण इस प्रक्रिया में अस्थायी विलंब हुआ है। लेकिन अब केंद्रीय नेतृत्व पुनः इस दिशा में सक्रिय हो गया है।
प्रदेश अध्यक्षों में भी बदलाव की तैयारी
बीजेपी सूत्रों के अनुसार, राष्ट्रीय अध्यक्ष के चयन से पहले पार्टी कुछ राज्यों में संगठनात्मक बदलाव कर सकती है। उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और उत्तराखंड जैसे राज्यों में प्रदेश प्रभारी की नई नियुक्तियों की तैयारी है।
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उत्तर प्रदेश: ओबीसी नेतृत्व की मांग
उत्तर प्रदेश में पहले से ब्राह्मण चेहरा अध्यक्ष पद पर नियुक्त किया गया था, लेकिन अब पार्टी ओबीसी समुदाय से आने वाले किसी नेता को यह जिम्मेदारी देने पर विचार कर रही है। यह बदलाव सामाजिक संतुलन साधने और ओबीसी समर्थन को मजबूत करने की दिशा में उठाया जा सकता है।
मध्य प्रदेश और उत्तराखंड में समीकरण
मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री ओबीसी वर्ग से हैं जबकि वर्तमान अध्यक्ष ब्राह्मण हैं। अब पार्टी वहां किसी आदिवासी नेता को प्रदेश अध्यक्ष बनाने पर विचार कर रही है, जिससे ट्राइबल प्रतिनिधित्व को मजबूती मिल सके। उत्तराखंड में ब्राह्मण नेता दौड़ में सबसे आगे हैं, लेकिन अंतिम निर्णय अभी बाकी है।
राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के तीन प्रमुख दावेदार
राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद के लिए तीन प्रमुख नामों पर विचार चल रहा है:
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धर्मेंद्र प्रधान – केंद्रीय मंत्री और ओबीसी समुदाय से आते हैं। ओडिशा से आते हैं और संगठनात्मक अनुभव के साथ केंद्रीय नेतृत्व से करीबी संबंध रखते हैं।
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शिवराज सिंह चौहान – पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान में केंद्रीय मंत्री। जमीन से जुड़े नेता माने जाते हैं और जनता में उनकी मजबूत छवि है।
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मनोहर लाल खट्टर – हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री, अब केंद्रीय मंत्री हैं। उनके पास व्यापक प्रशासनिक अनुभव है।
संगठनात्मक संतुलन होगा अहम
बीजेपी नेतृत्व ऐसा चेहरा चुनना चाहता है जो संगठनात्मक मजबूती, क्षेत्रीय संतुलन और जातीय समीकरणों को साध सके। पार्टी के लिए 2026 के विधानसभा चुनाव और 2029 के लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए अध्यक्ष का चयन महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
जेपी नड्डा का कार्यकाल समाप्ति की ओर
जेपी नड्डा का कार्यकाल जनवरी 2020 में शुरू हुआ था, जिसे 2024 के लोकसभा चुनावों के मद्देनजर बढ़ाया गया था। अब यह कार्यकाल समाप्त हो रहा है। संभावना है कि पार्टी केंद्रीय चुनाव समिति गठित कर प्रक्रिया को अंजाम देगी। यह समिति नामांकन, जांच और आवश्यकता पड़ने पर मतदान भी आयोजित कर सकती है।
विपक्ष भी रख रहा नजर
कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और अन्य विपक्षी दल भी बीजेपी के अध्यक्ष पद को लेकर चल रही गतिविधियों पर नज़र बनाए हुए हैं। वे आकलन करने की कोशिश कर रहे हैं कि नया अध्यक्ष पार्टी को किस दिशा में ले जाएगा और आने वाले चुनावों पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा।
यह निर्णय न केवल संगठन के भीतर संतुलन स्थापित करेगा, बल्कि भविष्य की चुनावी रणनीति की दिशा भी तय करेगा।