


राजस्थान में घुमंतू बच्चों के लिए खुलेगा चलता-फिरता विद्यालय, शिक्षा से नहीं छूटेगा कोई
राजस्थान सरकार अब शिक्षा के क्षेत्र में एक अनोखी पहल की तैयारी कर रही है। राज्य के शिक्षा विभाग द्वारा “चलता-फिरता विद्यालय” यानी “चल विद्यालय” योजना पर काम चल रहा है। इस योजना का उद्देश्य है उन बच्चों तक शिक्षा पहुंचाना, जो पारंपरिक ढांचे के स्कूलों में नियमित रूप से पढ़ाई नहीं कर पाते — खासकर घुमंतू जातियों से आने वाले बच्चे।
सरकार की सोच – जहां कबीला रुके, वहीं लगे स्कूल
राज्य में कई ऐसे समुदाय हैं जो एक स्थान पर स्थायी रूप से नहीं रहते। ऐसे में इन समुदायों के बच्चों की पढ़ाई अक्सर बीच में ही छूट जाती है। “चल विद्यालय” योजना के अंतर्गत, जब भी कोई घुमंतू समूह किसी जगह ठहरेगा, उसी स्थान पर अस्थायी स्कूल की व्यवस्था की जाएगी ताकि बच्चे पढ़ाई जारी रख सकें।
कब और कैसे शुरू होगा स्कूल?
शिक्षा विभाग के अनुसार, योजना को अमल में लाने के लिए यह शर्त रखी गई है कि एक स्थान पर कम से कम 20 बच्चे मौजूद हों। जब ऐसा होगा, तब उस क्षेत्र में एक मोबाइल स्कूल स्थापित किया जाएगा, जो वहीं रुककर बच्चों को पढ़ाएगा। इससे उन बच्चों को फायदा मिलेगा जिन्हें अब तक शिक्षा से दूर रहना पड़ा।
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ड्रॉपआउट दर कम करने की कोशिश
राज्य सरकार को उम्मीद है कि इस पहल से स्कूल छोड़ने वाले (ड्रॉपआउट) बच्चों की संख्या में गिरावट आएगी। वर्तमान में भी सरकारी स्कूलों में निजी स्कूलों की तुलना में ज्यादा बच्चे पढ़ रहे हैं। सरकार चाहती है कि कोई भी बच्चा शिक्षा से वंचित न रहे, चाहे वह कहीं भी रह रहा हो।
भामाशाहों से अपील: आगे आकर सहयोग करें
शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने हाल ही में चेन्नई प्रवास पर राजस्थानी मूल के प्रवासियों से मुलाकात की और उनसे अपील की कि वे इस योजना में भामाशाह के रूप में आर्थिक सहयोग दें। प्रवासियों ने भी इस अनूठी योजना में सहयोग का आश्वासन दिया है।