


जयपुर: सवाईमानसिंह अस्पताल में गर्भवती महिला को गलत खून चढ़ाए जाने से हुई मौत के मामले में एक नया मोड़ आया है। अब तक गठित उच्च स्तरीय जांच समिति इस मामले में किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच पाई है।
जांच में उलझन तब पैदा हुई जब ड्यूटी पर तैनात नर्स ने पर्ची पर लिखी गई हैंडराइटिंग को अपनी नहीं माना। इसके बाद, पर्ची की हैंडराइटिंग की जांच एफएसएल (फोरेंसिक साइंस लैब) द्वारा कराई गई है। रिपोर्ट आने के बाद ही जांच आगे बढ़ेगी। यदि जांच में यह पाया गया कि पर्ची में बदलाव किया गया या हैंडराइटिंग मेल नहीं खाती, तो इस पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
उच्च स्तरीय समिति का गठन
इस गंभीर मामले की जांच के लिए पहले सवाईमानसिंह मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य ने एक जांच समिति गठित की थी। लेकिन चिकित्सा मंत्री गजेन्द्र सिंह खींवसर को इस जांच की प्रगति से संतुष्टि नहीं मिली। इसके बाद, एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया, जिसमें सेवानिवृत्त वरिष्ठ चिकित्सक, चिकित्सा शिक्षा निदेशालय के वरिष्ठ अधिकारी और अन्य विशेषज्ञ शामिल हैं। कॉलेज के प्राचार्य डॉ. दीपक माहेश्वरी ने बताया कि सभी पहलुओं की जांच की जाएगी, ताकि दोषियों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जा सके।

वेंटिलेटर पर मृत शिशु ने लिया जन्म
मृतका टोंक जिले की रहने वाली थी और अस्पताल में गंभीर हालत में भर्ती हुई थी। वेंटिलेटर पर रहते हुए उसके मृत शिशु ने जन्म लिया। इलाज के दौरान महिला को गलत खून चढ़ा दिया गया, जिसके कुछ समय बाद उसकी मृत्यु हो गई। चिकित्सकों के अनुसार, महिला को टीबी की बीमारी भी थी, जिससे उसकी स्थिति और बिगड़ गई थी।