


एक ही मंच पर तारीफ और चेतावनी: वायुसेना चीफ ने उठाए सरकार से सवाल
CII एनुअल बिजनेस सबमिट में एक तरफ जहां रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ऑपरेशन सिंदूर को लेकर मोदी सरकार की सैन्य रणनीति की सराहना की, वहीं उसी मंच से भारतीय वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल ए पी सिंह ने रक्षा क्षेत्र में उपकरणों की खरीद में हो रही देरी पर कड़ा सवाल खड़ा किया।
राजनाथ सिंह ने ऑपरेशन सिंदूर की तारीफ करते हुए कहा कि यह भारत की सैन्य क्षमता और राजनीतिक इच्छाशक्ति का प्रतीक है। उन्होंने बताया कि इस ऑपरेशन के दौरान भारतीय सेनाओं ने दुश्मन के ठिकानों को सटीकता से निशाना बनाया और पाकिस्तान को कड़ा जवाब दिया। उन्होंने यह भी जोड़ा कि इस कार्रवाई में स्वदेशी प्रणालियों का उपयोग कर भारत ने आत्मनिर्भरता की दिशा में उल्लेखनीय कदम बढ़ाया है।
रक्षा मंत्री ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) को भारत का अभिन्न हिस्सा बताते हुए विश्वास जताया कि वहां के लोग भविष्य में स्वेच्छा से भारत के साथ आएंगे। उन्होंने कहा, “हमारा भरोसा बना रहेगा, जैसे बड़े भाई का छोटे भाई पर होता है।”
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लेकिन इसी मंच से एयर चीफ मार्शल ए पी सिंह ने एक अलग ही तस्वीर सामने रखी। उन्होंने खुलकर कहा कि रक्षा परियोजनाओं में समयसीमा का पालन न होना गंभीर समस्या बन चुका है। उन्होंने सवाल किया, “ऐसे वादे क्यों किए जाते हैं जिन्हें हम जानते हैं कि पूरा करना मुश्किल होगा?” उन्होंने कहा कि अकसर ऐसी परियोजनाओं पर हस्ताक्षर कर दिए जाते हैं, जिनके पूरे होने की संभावना पहले से ही संदिग्ध होती है, और यही बाद में बड़ी अड़चन बनती है।
एयर चीफ मार्शल ने खासतौर पर हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) द्वारा 83 तेजस मार्क-1ए लड़ाकू विमानों की डिलीवरी में हो रही देरी पर चिंता जताई। यह अनुबंध 2021 में हुआ था, लेकिन आज तक समय पर प्रगति नहीं हुई है। उन्होंने 70 HTT-40 ट्रेनर विमानों की आपूर्ति में भी देरी को उजागर किया, जिन्हें 2025 से वायुसेना में शामिल किया जाना है।

उन्होंने चेताया कि वायु शक्ति के बिना कोई सैन्य अभियान सफल नहीं हो सकता और अब केवल ‘मेक इन इंडिया’ नहीं, बल्कि भारत में डिजाइन और विकास की जरूरत है।
नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी ने कहा कि आज की दुनिया में युद्ध और शांति के बीच की रेखाएं धुंधली हो गई हैं। उन्होंने बताया कि गैर-राज्यीय तत्वों द्वारा वाणिज्यिक तकनीकों का दुरुपयोग बढ़ रहा है और भारत को अब अत्यधिक सटीकता वाली सैन्य क्षमताओं की ओर बढ़ना होगा। उन्होंने यह भी कहा कि नौसेना 2047 तक पूरी तरह आत्मनिर्भर बनने के लिए संकल्पित है।
सुरक्षा सचिव आर. के. सिंह ने ऑपरेशन सिंदूर को भारत की सैन्य रणनीति में एक निर्णायक मोड़ बताया। उन्होंने कहा कि यह ऑपरेशन दर्शाता है कि भारत अब सीमा पार आतंकवाद और परमाणु धमकी को बर्दाश्त नहीं करेगा और आतंक के हर अड्डे को स्रोत पर खत्म किया जाएगा।
निष्कर्ष:
CII बिजनेस समिट का यह मंच जहां एक ओर सरकार की उपलब्धियों का जश्न था, वहीं दूसरी ओर सैन्य नेतृत्व की ओर से ईमानदार आत्मविश्लेषण और चेतावनी का संदेश भी। इससे यह साफ हो गया कि भारत को न केवल आत्मनिर्भरता की दिशा में तेजी से बढ़ना होगा, बल्कि समयबद्ध और व्यावहारिक योजनाओं पर भी ध्यान देना जरूरी है।