


वॉशिंगटन/नई दिल्ली – अमेरिका की एक प्रमुख अदालत ने पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लागू की गई रेसिप्रोकल टैरिफ नीति पर रोक लगा दी है। इस फैसले से न केवल वैश्विक व्यापार पर असर पड़ेगा, बल्कि भारत जैसे देशों को भी राहत मिलने की उम्मीद है जो अब तक इस नीति के कारण ट्रेड वार्ता में दबाव महसूस कर रहे थे।
अदालत ने ट्रंप के फैसले को बताया एकतरफा
न्यूयॉर्क स्थित अंतर्राष्ट्रीय वाणिज्य अदालत के तीन न्यायाधीशों की पीठ ने अपने फैसले में कहा कि ट्रंप ने टैरिफ लगाने में अपने कानूनी अधिकारों का दुरुपयोग किया और यह निर्णय कांग्रेस की मंजूरी के बिना लागू नहीं हो सकता। अदालत ने व्हाइट हाउस की सभी दलीलों को अस्वीकार कर दिया।
क्या था ट्रंप का टैरिफ फैसला
पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप ने अमेरिका पर टैरिफ लगाने वाले देशों के खिलाफ प्रतिस्पर्धात्मक शुल्क (रेसिप्रोकल टैरिफ) लागू करने की घोषणा की थी। इस नीति का उद्देश्य अमेरिकी व्यापार घाटे को कम करना था, लेकिन इससे भारत समेत कई देशों के साथ द्विपक्षीय व्यापार संबंधों में तनाव बढ़ गया था।

भारत के लिए क्यों अहम है यह फैसला
अदालत का यह निर्णय ऐसे समय आया है जब भारत और अमेरिका के बीच आगामी हफ्तों में व्यापारिक बातचीत होनी है। पहले 26% रेसिप्रोकल टैरिफ के चलते भारत पर समझौते के लिए दबाव बन रहा था, लेकिन अब उस दबाव में काफी कमी आएगी। यह फैसला भारत को अमेरिका के साथ अधिक स्वतंत्र और संतुलित व्यापार समझौता करने का अवसर देगा।
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निष्कर्ष
ट्रंप की टैरिफ नीति पर अमेरिकी अदालत की रोक से वैश्विक व्यापार में स्थिरता आने की संभावना है और भारत जैसे देशों को कूटनीतिक स्तर पर मजबूती मिलने का रास्ता भी खुल सकता है।