


बीकानेर – सरकारी स्कूलों में घटते दाखिलों को लेकर शिक्षा विभाग ने फिर से कमर कस ली है। 1 जुलाई से 24 जुलाई 2025 तक पूरे राजस्थान में प्रवेशोत्सव का दूसरा चरण चलाया जाएगा। इस दौरान शिक्षक घर-घर जाकर अभिभावकों से संवाद करेंगे और विद्यार्थियों को स्कूल से जोड़ने की कोशिश करेंगे।
शिक्षा निदेशालय ने यह निर्णय ऐसे समय में लिया है जब लगभग 20 लाख बच्चे स्कूल छोड़ चुके हैं और राज्य में ड्रॉपआउट दर चिंताजनक बनी हुई है। विभाग की प्राथमिकता इन बच्चों को दोबारा शिक्षा से जोड़ना है।
सीमावर्ती जिलों में पिछड़ा अभियान, अब मिलेगी रफ्तार
प्रवेशोत्सव का पहला चरण गर्मियों से पहले शुरू हुआ था, लेकिन सीमावर्ती क्षेत्रों में भारत-पाक तनाव के कारण यह अभियान अधूरा रह गया। अब छुट्टियों के बाद दोबारा इसे गति दी जाएगी।
तीसरा चरण भी होगा शुरू, 25 जुलाई से फिर से सर्वे
25 जुलाई से 18 अगस्त तक एक और चरण चलाया जाएगा, जिसमें उन बच्चों की पहचान की जाएगी जो अब तक स्कूल नहीं लौटे हैं।
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शिक्षक बनेंगे सरकारी स्कूलों के ब्रांड एंबेसडर
अभियान के दौरान शिक्षक न केवल नामांकन बढ़ाने का प्रयास करेंगे, बल्कि स्कूलों की उपलब्धियां, परीक्षा परिणाम, योजनाएं और पूर्व विद्यार्थियों की सफलता की कहानियां भी अभिभावकों से साझा करेंगे। इसके लिए उन्हें पेम्पलेट्स और सूचनात्मक सामग्री उपलब्ध कराई गई है।
शिक्षकों की भूमिका अहम
माध्यमिक शिक्षा निदेशक आशीष मोदी ने स्पष्ट किया कि “शिक्षकों को घर-घर जाकर संपर्क साधने और हर योग्य बच्चे को स्कूल में लाने की जिम्मेदारी दी गई है।”
निष्कर्ष – राज्य सरकार सरकारी स्कूलों में भरोसा फिर से कायम करने और बच्चों को वापस कक्षा में लाने के लिए एक व्यापक योजना के साथ काम कर रही है, जिसमें शिक्षकों की भागीदारी को सबसे महत्वपूर्ण कड़ी माना गया है।