


बीएड और रीट पास काफी नहीं, शिक्षकों के लिए नई चुनौतियां
नई शिक्षा नीति 2020 के बाद शिक्षण प्रणाली में आया बड़ा बदलाव
राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 लागू होने के बाद देश की शिक्षा व्यवस्था में गहरा परिवर्तन देखने को मिल रहा है। राजस्थान के सरकारी और निजी स्कूलों में इस बदलाव के स्पष्ट संकेत नजर आने लगे हैं। अब शिक्षकों को सिर्फ बीएड या रीट जैसी डिग्रियों से संतुष्ट नहीं किया जा सकता, क्योंकि शिक्षा का तरीका पूरी तरह बदल चुका है।
तकनीकी दक्षता और नवाचार बन चुके हैं जरूरी:
अब शिक्षकों से अपेक्षा की जा रही है कि वे सिर्फ पारंपरिक पद्धतियों पर निर्भर न रहें, बल्कि डिजिटल तकनीकों और नवाचारों को अपनाएं। स्मार्ट क्लासरूम, डिजिटल कंटेंट, प्रोजेक्ट-आधारित शिक्षण और इंटरैक्टिव टूल्स के माध्यम से विद्यार्थियों को पढ़ाया जा रहा है। ऐसे में शिक्षकों को इन नए माध्यमों की जानकारी रखना और उनका प्रभावी उपयोग करना आवश्यक हो गया है।
निजी स्कूलों में हाईटेक ट्रेनिंग अनिवार्य:
निजी स्कूलों में शिक्षक बनने से पहले अब हाईटेक ट्रेनिंग दी जा रही है। शिक्षक स्वयं को अपडेट रखने के लिए ऑनलाइन कोर्स, वेबिनार और कार्यशालाओं में भाग ले रहे हैं। कई संस्थाएं शिक्षकों के लिए विशेष प्रशिक्षण सत्र चला रही हैं, ताकि वे आधुनिक शिक्षण विधियों को बेहतर समझ सकें।
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शिक्षक अब गाइड और तकनीकी विशेषज्ञ की भूमिका में:
जयपुर के एक निजी स्कूल की प्रिंसिपल अर्चना शर्मा बताती हैं कि एनईपी के तहत शिक्षक की भूमिका अब केवल पढ़ाने तक सीमित नहीं रह गई है। उन्हें विद्यार्थियों के समग्र विकास के लिए मेंटर, गाइड और तकनीकी विशेषज्ञ की भूमिका निभानी होती है। इसके लिए उन्हें नियमित प्रशिक्षण लेना पड़ रहा है और तकनीकी उपकरणों जैसे प्रोजेक्टर, टैबलेट व सॉफ्टवेयर के प्रयोग में दक्षता हासिल करनी पड़ रही है।

सीबीएसई और संस्थानों द्वारा प्रशिक्षण कार्यक्रम:
सीबीएसई समेत अन्य शैक्षणिक संस्थाएं समय-समय पर शिक्षकों के लिए प्रशिक्षण सत्र आयोजित कर रही हैं। निजी स्कूलों की भर्ती प्रक्रिया में भी बदलाव आया है, जहां नवाचार, नेतृत्व क्षमता और तकनीकी समझ को प्राथमिकता दी जा रही है।
छात्रों से ज्यादा मेहनत कर रहे हैं शिक्षक:
निजी स्कूल के प्रिंसिपल अशोक वैद्य के अनुसार, अब शिक्षकों को पाठ्यक्रम को तकनीकी रूप से प्रस्तुत करने के लिए निरंतर अभ्यास और अध्ययन करना पड़ता है। उन्हें यह भी देखना होता है कि छात्रों की रुचि बनी रहे और वे विषय को गहराई से समझ सकें।
निष्कर्ष:
नई शिक्षा नीति के चलते शिक्षण अब केवल ज्ञान का हस्तांतरण नहीं रह गया, बल्कि यह एक बहुआयामी प्रक्रिया बन चुकी है। ऐसे में शिक्षकों के लिए सबसे बड़ी चुनौती यह है कि वे समय के साथ खुद को ढालें और नवाचारों को अपनाकर शिक्षा को नई दिशा दें।