


राजस्थान में युवाओं को लग रही ई-सिगरेट की लत, सख्त कानूनों के बावजूद तस्करी जारी
जयपुर। राजस्थान समेत देशभर में युवाओं के बीच ई-सिगरेट (इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट) का चलन तेजी से बढ़ रहा है, जबकि 2019 से इस पर भारत में पूरी तरह प्रतिबंध है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ और सरकारी एजेंसियां लगातार चेतावनी दे रही हैं कि यह लत युवाओं के स्वास्थ्य को गंभीर नुकसान पहुंचा रही है। बावजूद इसके, ई-सिगरेट की अवैध बिक्री और तस्करी का सिलसिला थम नहीं रहा।
सख्ती के बावजूद तस्करी बेखौफ
राजस्थान पुलिस और केंद्रीय जांच एजेंसियों की ओर से समय-समय पर कार्रवाई की जा रही है। जुलाई 2024 में डीआरआई ने जयपुर में 1.25 करोड़ रुपए की ई-सिगरेट जब्त की थी, जबकि मई 2025 में भीलवाड़ा में 1.5 लाख रुपए मूल्य की 48 ई-सिगरेट बरामद की गई। इन उत्पादों की तस्करी चीन, मलेशिया और दुबई से होती है।
पुलिस कार्रवाई के आंकड़े
1 सितंबर 2022 से 30 अप्रैल 2025 के बीच राजस्थान पुलिस ने 8 मामलों में 166 ई-सिगरेट जब्त कर 8 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। विशेषज्ञों का मानना है कि ई-सिगरेट का आकर्षक डिजाइन, फ्लेवर और सोशल मीडिया पर प्रचार युवाओं को लुभा रहे हैं।
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स्वास्थ्य पर खतरनाक प्रभाव
ई-सिगरेट में निकोटीन होता है, जो नशे की लत पैदा करता है और मस्तिष्क के विकास, स्मृति और आवेग नियंत्रण पर असर डालता है। इसके एयरोसोल में पाए जाने वाले रसायन जैसे फॉर्मल्डिहाइड और एक्रोलीन फेफड़ों की सूजन, अस्थमा और कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का कारण बन सकते हैं। यह हृदय रोग, उच्च रक्तचाप और मानसिक स्वास्थ्य पर भी विपरीत असर डालता है।
युवाओं को निशाना बना रही मार्केटिंग
फल, कैंडी और मेंथॉल जैसे फ्लेवर युवाओं को लुभाते हैं, जिससे वे पारंपरिक सिगरेट की ओर भी आकर्षित हो सकते हैं। कई युवा तनाव से राहत पाने के लिए ई-सिगरेट का सहारा लेते हैं, जिससे वे मानसिक रूप से और अधिक उलझन में पड़ जाते हैं।
अन्य खतरे
ई-सिगरेट की बैटरियों में विस्फोट की घटनाएं भी सामने आई हैं। अमेरिका में 2009 से 2016 के बीच ऐसे 195 मामले दर्ज किए गए। इसके अलावा, सेकेंड-हैंड एयरोसोल से दूसरों को भी हानि पहुंचती है।
कानूनी स्थिति और सजा
भारत में ई-सिगरेट निषेध अधिनियम, 2019 के तहत इसके निर्माण, बिक्री, आयात, निर्यात, भंडारण और विज्ञापन पर पूर्ण प्रतिबंध है।
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पहली बार उल्लंघन: 1 साल तक की जेल या ₹1 लाख जुर्माना या दोनों
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पुनः उल्लंघन: 3 साल तक की जेल और ₹5 लाख तक का जुर्माना
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भंडारण का उल्लंघन: 6 महीने तक की जेल या ₹50,000 तक का जुर्माना
पुलिस को बिना वारंट तलाशी और जब्ती का अधिकार प्राप्त है।
समाधान के लिए सुझाव
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कानून का सख्त पालन: पुलिस और डीआरआई को ऑनलाइन और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर निगरानी बढ़ानी चाहिए।
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जागरूकता अभियान: स्कूलों और कॉलेजों में युवाओं को ई-सिगरेट के खतरों के प्रति जागरूक किया जाए।
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अभिभावकों की भूमिका: बच्चों की आदतों और सोशल नेटवर्किंग पर निगरानी रखें।
ई-सिगरेट का बढ़ता प्रचलन एक सामाजिक और स्वास्थ्य संकट का रूप ले रहा है, जिसे रोकने के लिए सरकार, प्रशासन, स्कूल, माता-पिता और समाज को मिलकर काम करना होगा।