


राजस्थान पुलिस के महानिदेशक (साइबर अपराध) हेमंत प्रियदर्शी के निर्देश पर राज्य पुलिस साइबर ठगी की घटनाओं की रोकथाम के लिए आम जन को जागरूक कर रही है। पुलिस मुख्यालय के साइबर कमांडो और साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ लगातार लोगों को ऑनलाइन खतरों से बचाने के लिए जागरूक कर रहे हैं। इस दौरान उन्होंने कुछ महत्वपूर्ण सुझाव दिए हैं ताकि लोग साइबर ठगी और फोन हैकिंग से बच सकें।
हेमंत प्रियदर्शी ने बताया कि इन दिनों एक खास साइबर अपराध सामने आ रहा है, जिसमें अनजान व्यक्ति व्हाट्सएप या अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर फोटो, ऑडियो, वीडियो या लिंक भेजते हैं। जैसे ही आप उस इमेज या ऑडियो को खोलते हैं, आपके फोन का एक्सेस साइबर अपराधी के पास चला जाता है, यानी कि आपका फोन हैक हो जाता है।
स्टेग्नोग्राफ़ी तकनीक का खतरा
साइबर कमांडो महेश कुमार ने बताया कि जब आपका फोन हैक होता है, तो अपराधी आपके मैसेज और कॉल को अन्य नंबरों पर फॉरवर्ड कर देते हैं। इसके बाद प्राप्त ओटीपी का इस्तेमाल करके बैंक खाते से पैसे निकाले जा सकते हैं या अन्य नुकसान हो सकता है। यह सब स्टेग्नोग्राफ़ी तकनीक के जरिए किया जाता है। इस तकनीक में किसी भी फोटो या वीडियो में एक कोड छुपाया जाता है, जिससे देखने वाले को यह पता नहीं चलता कि उस फाइल में कोई खतरनाक कोड भी हो सकता है।
फिशिंग लिंक से बचाव
साइबर अपराधी फर्जी ईमेल या मैसेज भेजते हैं, जिनमें आकर्षक ऑफर या लॉटरी जीतने का दावा किया जाता है। इन संदेशों में एक लिंक होता है, जिस पर क्लिक करते ही आप एक नकली वेबसाइट पर पहुंच जाते हैं, जहां आपकी व्यक्तिगत जानकारी मांगी जाती है।
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साइबर ठगी से बचने के उपाय
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अनजान व्यक्ति से प्राप्त किसी भी मीडिया (फोटो, ऑडियो, वीडियो, पीडीएफ, APK) को न खोलें।
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अपने ऐप्स की मीडिया सेटिंग्स में जाकर मीडिया ऑटो डाउनलोड को हमेशा बंद रखें।
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अगर गलती से कुछ डाउनलोड हो जाए, तो अपने फोन में अवांछित ऐप्स की जांच करें।
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सोशल मीडिया और बैंक खातों पर टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन सक्षम करें।
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हमेशा अपने मोबाइल और ऐप्स को अपडेट रखें।
अगर आपको साइबर अपराध का सामना करना पड़े, तो तुरंत साईबर हेल्पलाइन 1930 पर शिकायत करें या cybercrime.gov.in पर रिपोर्ट करें।